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चाइल्ड पोर्नोग्राफी: देश भर में सीबीआई ने मारे थे छापे, एक क्लिक में जानें पूरा अपडेट
jantaserishta.com
18 Nov 2021 10:09 AM GMT
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चाइल्ड पॉर्नोग्राफी केस (Child Pornography Case) में सीबीआई ने मंगलवार को देश के 14 राज्यों में 77 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस छापेमारी में उत्तर प्रदेश के जालौन, मऊ जैसे छोटे जिले से लेकर नोएडा और गाजियाबाद जैसे बड़े शहरों और राजस्थान के नागौर जयपुर अजमेर से लेकर तमिलनाडु के कोयंबटूर जैसे शहर भी शामिल थे. ये मामला इतना बड़ा है कि इसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
सीबीआई ने छापेमारी के दौरान अलग-अलग शहरों से 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. गुरुवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में दिल्ली से गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों रमन गौतम, सतेंद्र मित्तल और पुरषोत्तम झा को पेश किया गया. जहां से तीनों को तीन दिन की सीबीआई कस्टडी में सौप दिया गया है.
सीबीआई के अधिकारियों के मुताबिक बाकि के आरोपियों को भी अलग-अलग कोर्ट में पेश करके उनकी कस्टडी ली जाएगी ताकि इनके लिंक्स कहां-कहां है. ये पता लगाया जा सके. जानकारी के मुताबिक 50 से ज्यादा व्हाट्सएप ग्रुप सीबीआई के रडार पर हैं. इस मामले की जांच में 5 हजार से ज्यादा लोगों के नाम सामने आये थे, जो इस केस से जुड़ी सामग्री को सोशल मीडिया पर शेयक कर रहे थे.
जानकारी के मुताबिक इस मामले में गिरफ्तारियों का आंकड़ा शाम तक और बढ़ सकता है. क्योंकि सीबीआई अलग-अलग शहरों में करीब 2 दर्जन से ज्यादा लोगों हिरासत में ले चुकी है. साथ ही सीबीआई ने बड़ी संख्या में लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जब्त किए हैं.
ये है पूरा मामला
इंटरपोल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2017-20 के बीच तीन साल में ऑनलाइन बाल यौन शोषण के 24 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत पीड़ित 14 साल से कम उम्र की लड़कियां हैं.
इन आंकड़ों के सामने आने पर सीबीआई ने भारत में 'ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री' (CSAM) के कथित तस्करों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया था. जिसके तहत ऐसी आपत्तिजनक सामग्री की मेजबानी करने की जिम्मेदार कई वेबसाइटें जांच के दायरे में थीं. तभी से सीबीआई ने इस मामले में कमर कसी और छापेमारी शुरु कर दी थी.
इंटरपोल के डेटा ने खुलासा किया है कि ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) की सामग्री और उसके ग्राहक तेजी से बढ़ रहे हैं. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एक इंटरनेट सर्च इंजन पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी जानकारी के लिए 1.16 लाख सर्च किए गए थे. इस जानकारी के बाद सीबीआई ने संबंधित कानूनी प्रावधानों के तहत सोशल मीडिया वेबसाइटों और होस्टिंग प्लेटफॉर्म के साथ उनकी भूमिका और दायित्व की जांच करने की योजना बनाई.
50 ऑनलाइन सोशल मीडिया ग्रुप की निगरानी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, 'इंटरपोल का डेटा चिंताजनक है. यह ऑनलाइन बाल यौन शोषण के 24 लाख मामलों को दर्शा रहा है, जिसमें 80 फीसदी पीड़ित युवा लड़कियां हैं.' सीबीआई ने अपने ऑपरेशन के तहत 50 ऑनलाइन सोशल मीडिया ग्रुप टारगेट किया है, जिसमें दुनिया भर के 5,000 आरोपी शामलि हैं, जो सीएसएएम को साझा करते हैं और बेचते हैं.
ग्रुप्स में शामिल हैं कई देशों के लोग
सूत्रों के अनुसार इस घिनौने काम में शामिल ग्रुप्स में पाकिस्तान से 36, कनाडा से 35, यूएसए से 35, बांग्लादेश से 31, श्रीलंका से 30, नाइजीरिया से 28, अजरबैजान से 27, यमन से 24 और मलेशिया से 22 सदस्य शामिल हैं. सीबीआई अब इन सभी देशों की संबंधित कानूनी एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित करेंगी ताकि विदेशों से भी आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सके और सीएसएएम का निर्माण करने वालों का पता लगाया जा सके.
केंद्रीय जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा, 'सीबीआई इस मामले को लेकर औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से सहयोगी एजेंसियों के साथ समन्वय बना रही है.'
थर्ड पार्टी स्टोरेज और होस्टिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल
छापेमारी के दौरान तलाशी में बरामद किए गए कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विश्लेषण से पता चला है कि एजेंसी ने जिन आरोपियों को पकड़ा है, उनमें से बहुत सारे आरोपी ऐसे ग्रुप्स और प्लेटफार्म के लिंक, वीडियो, फोटो, टेक्स्ट, पोस्ट और होस्टिंग के जरिए सीएसएएम को शेयर करके उसका प्रसार करते थे और नियमित रूप से पैसा कमाते थे. इसके लिए थर्ड पार्टी स्टोरेज और होस्टिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल होता था.
एक अधिकारी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि, 'इन लोगों के ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़े बैंक खातों में नियमित रूप से पैसा आता था. अब इन शातिर अपराधियों के बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज का पता लगाने के लिए मनी ट्रेल का पालन किया जा रहा है."
प्रोत्साहन के लिए पैसा
सूत्रों के मुताबिक सोशल मीडिया या अन्य प्लेटफॉर्म के माध्यम से साझा की गई ऐसी सामग्री के आधार पर शेयर करने वालों भुगतान किया जाता है, जिससे लोगों को ज्यादा से ज्यादा ऐसे ग्रुप्स में साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और बड़े पैमाने पर इसका प्रसार हो सके.
अब सीबीआई बाल यौन शोषण की तस्वीरों की तुलना करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाल यौन शोषण डेटाबेस के साथ समन्वय स्थापित करने की योजना भी बना रही है ताकि वो सामग्री कहां से आई है, ये पता लगाया जा सके.
77 ठिकानों पर छापेमारी
सीबीआई ने 14 राज्यों में अपनी व्यापक कार्रवाई के दौरान 77 ठिकानों पर तलाशी ली. दरअसल, 83 आरोपियों को निशाना बनाकर तलाशी अभियान चलाया गया था. जिसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉनिक डेटा और गैजेट्स की बड़ी खेप जब्त की गई है. जिससे पैसे के लेन-देन के पैटर्न और विभिन्न अपराधियों की मिलीभगत शामिल थी. इस दौरान एजेंसी को नए सिरे से सुराग मिले थे, अब उनका पीछा किया जा रहा है.
83 आरोपियों के खिलाफ 23 एफआईआर
आपको बता दें कि सीबीआई ने बीती 14 नवंबर को बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया था. जिसमें 83 आरोपियों के खिलाफ 23 अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थी. यह अभियान अगले दिन यानी 15 नवंबर तक जारी रहा. इसी दौरान ओडिशा के ढेंकानाल में सीबीआई टीम के साथ मारपीट का मामला भी सामने आया. वहां सीबीआई टीम ऑनलाइन बाल शोषण के मामले में छापेमारी करने गई थी. इसी दौरान गुस्साई भीड़ ने टीम के साथ मारपीट की. इसके बाद स्थानीय पुलिस ने सीबीआई अधिकारियों का रेस्क्यू किया.
14 राज्यों में छापेमारी
कुल मिलाकर दिल्ली में 19, यूपी में 11, आंध्र प्रदेश के 2, गुजरात के 3, पंजाब के 4, बिहार के 2, हरियाणा के 4, उड़ीसा के 3, तमिलनाडु के 5, राजस्थान के 4, महाराष्ट्र के 3, छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के 1-1 जिलों में छापेमारी की गई.
सीबीआई की विशेष यूनिट करती है निगरानी
ये भी जान लें कि ऐसे मामलों में सीबीआई की विशेष इकाई 'ऑनलाइन बाल यौन शोषण और शोषण रोकथाम/जांच' (OCSAE) काम करती है. उसी के इनपुट पर ये व्यापक छापेमारी की कार्रवाई की गई थी. ये स्पेशल यूनिट इंटरनेट पर बाल यौन शोषण सामग्री (CSEM) की पोस्टिंग, सर्कुलेशन और डाउनलोड को ट्रैक और मॉनिटर करती है. इसके बाद ऐसा अपराध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
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