भारत
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बोले- स्पष्ट कर कर देना चाहता हूं न्यायपालिका सिर्फ और सिर्फ संविधान के प्रति जवाबदेह, जानें पूरी बात
jantaserishta.com
3 July 2022 2:45 AM GMT
x
न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमणा ने राजनीतिक दलों को दो टूक जवाब देते हुए कहा है कि न्यायपालिका सिर्फ और सिर्फ संविधान के प्रति जवाबदेह है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के लगता है कि न्यायपालिका को उनके कार्यों का समर्थन करना चाहिए। लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि न्यायपालिका संविधान के प्रति जवाबदेह हैं। न्यायपालिका एक स्वतंत्र अंग है जिसकी जवाबदेही सिर्फ संविधान के प्रति है।
दरअसल, अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एसोसिएशन ऑफ इंडो-अमेरिकन की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में सीजेआई ने कहा कि देश में राजनीतिक दलों के बीच यह गलत धारणा है कि न्यायपालिका को राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहिए। लेकिन न्यायपालिका अकेले संविधान के प्रति जवाबदेह है, न कि किसी राजनीतिक दल या विचारधारा के प्रति जवाबदेह है।
उन्होंने कहा कि हम इस साल आजादी के 75वें साल का जश्न मना रहे हैं। हमारा गणतंत्र 72 वर्ष का हो गया है, लेकिन हर संस्थान ने संविधान द्वारा सौंपी गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की पूरी तरह से सराहना करना नहीं सीखा है। सत्ता में मौजूद पार्टी का मानना है कि हर सरकारी काम न्यायिक समर्थन की हकदार है। विपक्षी दल न्यायपालिका से अपने राजनीतिक पदों और कारणों को आगे बढ़ाने की उम्मीद करते हैं।
सीजेआई ने यह भी कहा कि संविधान में दी गई नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था को लागू करने के लिए हमें भारत में संवैधानिक संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है। हमें व्यक्तियों और संस्थाओं की भूमिकाओं को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। भारत के संविधान के तहत जनता को हर पांच साल में अपना शासक चुनने की जिम्मेदारी दी गई है।
अमेरिका का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यह अमेरिकी समाज की सहिष्णुता और समावेशी प्रकृति है कि वह विश्वभर की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने में सक्षम है। जो बदले में इसके विकास में योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि विभिन्न बैकग्राउंड से योग्य प्रतिभाओं का सम्मान करना भी आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए जरूरी है।
रमणा ने प्रवासी लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि लोग भले ही करोड़पति-अरबपति बन गए हों लेकिन धन का सुख पाने के लिए उन्हें भी अपने आसपास शांति चाहिए होगी। उन्होंने कहा कि आपके माता-पिता के लिए भी घर पर (स्वदेश में) नफरत और हिंसा से मुक्त एक शांतिपूर्ण समाज होना चाहिए। अगर आप स्वदेश में अपने परिवार और समाज की भलाई का ध्यान नहीं रख सकते हैं तो आपकी दौलत और स्टेटस का क्या फायदा? आपको अपने तरीके से अपने समाज में बेहतर योगदान करना होगा।
उन्होंने कहा कि हमें खुद को बांटने वाले मुद्दों के बजाए एकजुट करने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। हम 21वीं सदी में छोटे, संकीर्ण और विभाजनकारी मुद्दों को इंसान और सामाज पर हावी नहीं होने दे सकते। हमें मानव विकास पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए ऐसे सभी मुद्दों से ऊपर उठना होगा।
TagsNV Ramana
jantaserishta.com
Next Story