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दिल्ली में चीफ जस्टिस और CMs का सम्मेलन, CJI ने कहा- लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए

jantaserishta.com
30 April 2022 5:06 PM GMT
दिल्ली में चीफ जस्टिस और CMs का सम्मेलन, CJI ने कहा- लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए
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दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण ने कहा कि हमें 'लक्ष्मण रेखा' का ध्यान रखना चाहिए. कोई भी काम अगर कानून के अनुसार हो तो न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी. यदि नगर पालिकाएं, ग्राम पंचायतें कर्तव्यों का पालन करती हैं और पुलिस ठीक से जांच करती है. अवैध हिरासत में टॉर्चर खत्म हो जाता है तो लोग अदालतों की ओर रुख नहीं करेंगे.

शनिवार को विज्ञान भवन में हाईकोर्टों के चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन हुआ था जिसमें चीफ जस्टिस एनवी रमण ने ये बातें कहीं. सीजेआई ने कहा कि संबंधित लोगों और उनकी आकांक्षाओं को शामिल करते हुए बहस और चर्चा के बाद कानून बनाया जाना चाहिए. अक्सर अधिकारियों के नॉन परफॉर्मेंस और विधायिकाओं की निष्क्रियता के कारण मुकदमेबाजी होती है जो टालने योग्य होती है.
वहीं जनहित याचिका (पीआईएल) को लेकर सीजेआई ने कहा कि इसके पीछे अच्छे इरादों का दुरुपयोग किया जाता है क्योंकि इसे परियोजनाओं को रोकने और सार्वजनिक प्राधिकरणों को आतंकित करने के लिए 'व्यक्तिगत हित याचिका' में बदल दिया गया है. यह राजनीतिक और कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्वियों के साथ स्कोर तय करने का एक साधन बन गई हैं.
सीजेआई ने बताया कि इस सम्मेलन में कई प्रस्ताव पास हुए हैं, कुछ में बदलाव भी किए गए. जैसे नेशनल ज्यूडिशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर अथॉरिटी बनाने के लिए केंद्र-राज्य की भूमिका पर विस्तृत चर्चा के बाद उसे संशोधित रूप से मंजूरी मिल गई. अधिकतर राज्यों ने राज्य स्तरीय अथॉरिटी बनाने पर सहमति जताई.
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेक्नोलॉजी पर खासा जोर दिया था. पीएम ने कहा कि डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देकर न्याय की देरी कम करने की कोशिश की जा रही है. बुनियादी सुविधाओं को पूरा किया जा रहा है. कोर्ट में वैकेंसी भरने की प्रोसेस चल रही है. न्यायपालिका की भूमिका संविधान के संरक्षक के रूप में है.
इस सम्मेलन के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि छह साल के अंतराल के बाद यह सम्मेलन हुआ और मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों ने बुनियादी ढांचे के संबंध में अपने विचारों का आदान-प्रदान किया. बता दें कि ये सम्मेलन सरकार और न्यायपालिका के बीच एक तरह से पूल माना जाता है. में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमनण मौजूद रहे.
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