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छत्तीसगढ़ को भायी कालानमक की खुशबू, धान के बीज की मांग में दिखा उछाल
jantaserishta.com
15 Jun 2023 6:30 AM GMT
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लखनऊ (आईएएनएस)| छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ को भगवान बुद्ध के प्रसाद और सिद्धार्थनगर के एक जिला एक उत्पाद, जीआई (जियोग्राफिकल इंडीकेशन) टैग कालानमक धान रास आ रहा है। बीते कुछ वर्षों में यहां पर कालानमक धान के बीज की मांग में बड़ा उछाल देखा जा रहा है। लगभग दो दशकों से कालानमक धान पर शोध कर रहे कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरसी चौधरी के अनुसार, अभी उनके पास कालानमक धान के बीज की जितनी मांग जीआई टैग वाले पूर्वांचल के 11 जिलों से आई है, लगभग उतनी ही मांग छत्तीसगढ़ से भी आई है। आए दिन वहां से तमाम लोगों के फोन आते हैं।
कालानमक धान का संबंध मूल रूप से भगवान बुद्ध से जुड़े सिद्धार्थनगर जिले से है, लेकिन समान कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) वाले पूर्वांचल के 11 जिलों (गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर और गोंडा) के लिए इसे जीआई मिला हुआ है। इन जिलों की कृषि जलवायु एक जैसी है। लिहाजा इस पूरे क्षेत्र में पैदा होने वाले कालानमक की खूबियां एक जैसी होती है। इनमें से बहराइच एवं सिद्धार्थनगर नीति आयोग द्वारा विभिन्न मानकों पर चयनित आकांक्षात्मक जिलों की सूची में शामिल हैं।
बीज की बढ़ी मांग की तस्दीक गोरखपुर के बड़े बीज बिक्रेता उत्तम बीज भंडार के श्रद्धानंद तिवारी भी करते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल के मुकाबले कालानमक धान के बीज की मांग में करीब तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। आपूर्तिकर्ता कंपनियों की संख्या भी खासी बढ़ी है। प्रतियोगिता है, इसलिए दाम भी वाजिब है।
दोनों लोगों का कहना है कि आज कालानमक धान में जो दिलचस्पी या रुझान बढ़ा है, उसकी एकमात्र वजह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निजी प्रयास है। उन्हीं की पहल से सिद्धार्थनगर में कॉमन फैसिलिटी सेंटर खुला। कपिलवस्तु में कालानमक महोत्सव हुआ। देश-विदेश से आने वाले तमाम मेहमानों को गिफ्ट हैंपर देकर उन्होंने इसे ब्रांड बना दिया।
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि कालानमक चावल में परंपरागत चावल की किस्मों की तुलना में जिंक एवं आयरन अधिक होता है। जिंक दिमाग के लिए जरूरी है। रही आयरन की बात तो इसकी कमी की वजह से होने वाली एनीमिया (रक्तअल्पता) हिंदुस्तानियों, खासकर किशोरियों एवं महिलाओं में आम है। कालानमक चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी तुलनात्मक रूप से कम होता है। लिहाजा यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी कुछ हद तक मुफीद है।
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