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मुंबई: महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है। इससे पहले ही राज्य में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। अजित पवार गुट के दिग्गज नेता छगन भुजबल ने सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की।
ये मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब एक दिन पहले ही छगन भुजबल ने शरद पवार पर निशाना साधा था। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने पिछले हफ्ते ओबीसी के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में विपक्ष का कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ था।
इसके बाद छगन भुजबल ने बीते रविवार को बारामती में शरद पवार का नाम लिए बिना उन पर दो समाज के बीच दरार डालने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि आरक्षण को लेकर होने वाली बैठक में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के नेता इसलिए नहीं आए थे, क्योंकि उन्हें बारामती से फोन आ गया था।
इस बयान के बाद उन्हें एनसीपी (एसपी) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले की आलोचना का सामना करना पड़ा था। हालांकि, एनसीपी (एसपी) की मुख्य प्रवक्ता विद्या चव्हाण ने शरद पवार और भुजबल की मुलाकात पर कहा कि राजनीतिक स्पेक्ट्रम के कई नेता, जिनमें एनसीपी (एसपी) प्रमुख की नियमित रूप से आलोचना करने वाले लोग भी शामिल हैं, नियमित रूप से उनसे मिलने जाते हैं।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सर्वदलीय बैठक से दूर रहने के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा था कि वे इसमें शामिल नहीं हुए क्योंकि सरकार ने आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष को विश्वास में नहीं लिया।
उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते की सर्वदलीय बैठक का उद्देश्य मुद्दे को सुलझाना और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करना था। उन्होंने विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार, एनसीपी (एसपी) के महासचिव डॉ. जितेंद्र आव्हाड से बात की थी और वे चाहते थे कि शरद पवार भी इसमें शामिल हों।
ऑल इंडिया महात्मा फुले समता परिषद (एआईएमपीएसपी) के अध्यक्ष और राज्य के प्रमुख ओबीसी नेताओं में से एक भुजबल ने अफसोस जताते हुए कहा, ''शाम करीब पांच बजे बारामती से किसी ने फोन किया और एमवीए के नेता बैठक में हिस्सा लेने से पीछे हट गए।''
संयोग से वह और शिवबा संगठन के प्रमुख मनोज जरांगे-पाटिल इस आरक्षण मुद्दे पर आमने-सामने हैं। जरांगे-पाटिल पिछले 11 महीनों से मराठा आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। भुजबल ने हमेशा कहा है कि वह मराठों के लिए आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह मौजूदा ओबीसी कोटा को प्रभावित किए बिना होना चाहिए।
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