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आईएएस अधिकारी के साथ ठगी, ऐसे बनाया गया निशाना

jantaserishta.com
4 Jun 2022 6:07 AM GMT
आईएएस अधिकारी के साथ ठगी, ऐसे बनाया गया निशाना
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नई दिल्ली: दिल्ली के द्वारका में फ्लैट दिलाने के नाम पर बदमाशों ने फर्जी सोसायटी बनाकर एक आईएएस अधिकारी को ठग लिया। आरोपियों ने अधिकारी से दो किश्तों में 16 लाख रुपये से ज्यादा ले लिए और उसके बाद उनका फोन उठाना बंद कर दिया। पीड़ित अधिकारी ने अपने साथ हुई ठगी की शिकायत दिल्ली पुलिस को दी, लेकिन एक माह बाद भी पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की है।

पीड़ित आईएएस अधिकारी एफआईआर दर्ज करवाने के लिए द्वारका जिला पुलिस उपायुक्त से खुद जाकर मिले। इसके बाद भी वह अपनी एफआईआर तक दर्ज नहीं करा पाए।
पीड़ित विरेन्द्र सिंह ने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया कि सौरव अरोड़ा नाम के शख्स ने एक सोसायटी बनाई और वसंतकुंज में फ्लैट बनाने की बात कही। सोसायटी ने अपने दस्तावेजों में बताया कि उनके पास वसंतकुंत में जमीन है। सौरव अरोड़ा ने खुद को सोसायटी का सचिव बनाया हुआ है। पीड़ित आईएएस विरेन्द्र सिंह ने उनकी सोसायटी में एक फ्लैट बुक किया। जिसकी एवज में कई बार में सोसायटी के सचिव सौरव अरोड़ा ने उनके पास से 16 लाख रुपए से ज्यादा की रकम ऐंठ ली।
अधिकारी ने अपने फ्लैट की जानकारी लेने के लिए उन्हें फोन किया तो उन्होंने फोन न उठाया। कई बार फोन न उठाने पर अधिकारी ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से सोसायटी के बारे में जानकारी निकाली तो पता चला कि रेरा में इसका कोई रजिस्टेशन नहीं है और न ही सोसायटी के पास कोई खुद की जमीन है। जिसके बाद पीड़ित ने द्वारका जिला पुलिस को शिकायत दी।
आईएएस अधिकारी ने दो मई को शिकायत दिल्ली पुलिस को दी थी। उन्होंने उनकी शिकायत पर एसएचओ के नाम से नोट लिखकर संबंधित थाने में भेज दिया। इसके बाद वह एसएचओ से मिले और उनसे सम्पर्क किया, लेकिन पुलिस ने एक माह बाद भी उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की। आईएएस अधिकारी ने बताया कि एसएचओ से कई बार सम्पर्क करने की कोशिश की, लेकिन एसएचओ ने उनका फोन उठाना बंद कर दिया।
आईएएस अधिकारी विरेन्द्र सिंह ने बताया कि मामले में दिल्ली पुलिस के कई बड़े अधिकारियों और एसएचओ से एफआईआर दर्ज करवाने के लिए ई-मेल और फोन से सम्पर्क किया गया है। शिकायत भी जाकर दी गई, लेकिन पुलिस की ओर से कोई जवाब नहीं मिला और न ही कोई एफआईआर दर्ज की गई।
पुलिस उपायुक्त, (द्वारका जिला) शंकर चौधरी ने कहा कि संबंधित अधिकारी की शिकायत मिलने के बाद मामले में जांच की जा रही है। जांच के बाद मामले जो उचित कारवाई होगी वो की जाएगी।

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