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52 लाख की ठगी...साइबर ठगों ने रेलवे के रिटायर्ड जनरल मैनेजर को बनाया निशाना, तरीका हैरान कर देगा

jantaserishta.com
16 May 2024 2:30 AM GMT
52 लाख की ठगी...साइबर ठगों ने रेलवे के रिटायर्ड जनरल मैनेजर को बनाया निशाना, तरीका हैरान कर देगा
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24 घंटे डिजिटल अरेस्ट.
नोएडा: साइबर अपराधियों ने पार्सल में ड्रग्स होने की बात कहकर भारतीय रेलवे से रिटायर्ड जनरल मैनेजर (जीएम) के साथ 52 लाख 50 हजार रुपये की ठगी कर ली। आरोपियों ने उनको 24 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर तीन बार में खाते में रकम ट्रांसफर कराई। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। नोएडा सेक्टर-76 स्थित आम्रपाली सिलिकॉन सोसाइटी निवासी 69 वर्षीय प्रमोद कुमार ने पुलिस को बताया कि नौ मई को उनके मोबाइल पर एक रिकार्डेड मैसेज आया, जिसमें बताया गया कि उन्होंने एक पार्सल भेजा है, जो अब तक डिलिवर नहीं हुआ। ज्यादा जानकारी के लिए उनको मोबाइल पर एक दबाने के लिए बोला गया। ऐसा करने पर कॉल एक अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर हो गई। उसने कहा कि प्रमोद की ओर से, जो पार्सल भेजा गया है, उसे ताइवान कस्टम विभाग ने सीज कर दिया है। पार्सल में कई आपत्तिजनक सामग्री हैं।
प्रमोद ने जब कॉलर से कहा कि उन्होंने ताइवान के लिए कोई पार्सल नहीं भेजा, तो जालसाजों ने उनका आधार और मोबाइल नंबर पूछा। जालसाज ने बताया कि जो पार्सल भेजा गया है, उसमें आधार कार्ड और मोबाइल नंबर उनका ही इस्तेमाल किया गया है। पार्सल में 100 ग्राम ड्रग्स, चार किलो कपड़े, चार पासपोर्ट और तीन क्रेडिट कार्ड होने की जानकारी दी गई। इसके बाद मामले की शिकायत करने के लिए कॉलर ने एक नंबर दिया, जो मुंबई क्राइम ब्रांच का बताया गया।
प्रमोद ने उक्त नंबर पर कॉल की तो फोन उठाने वाले ने कॉल कुछ समय तक होल्ड करने के लिए कहा। इसके बाद उसने प्रमोद के मोबाइल पर मुंबई पुलिस का एक आईकार्ड भेजा, जो नरेश गुप्ता बनर्जी के नाम से था। जालसाज ने प्रमोद से कहा कि उनके केवाईसी की डिटेल विभिन्न शहरों के बैंकों में खोले गए खाते में इस्तेमाल की गई है। इन खातों का सीधा लिंक मनी लॉन्ड्रिंग केस से है।
यह भी बताया गया कि प्रमोद के बैंक संबंधी डिटेल का इस्तेमाल, जिस मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी गतिविधियों में किया गया है, उसका संबंध दाऊद और नवाज मलिक के गिरोह से है। इसके बाद प्रमोद को वीडियो कॉल पर आने के लिए विवश कर दिया गया। वीडियो कॉल में दूसरी तरफ से सिर्फ मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच का लोगो दिख रहा था। जालसाज ने प्रमोद के मूल खाते संबंधी जानकारी ली और मोबाइल पर सीबीआई का एक लेटर भेजा। इसके बाद पीड़ित को करीब 24 घंटे डिजिटल अरेस्ट रखकर 52.50 लाख ऐंठ लिए। 24 घंटे में पीड़ित को सोने तक नहीं दिया गया।
डिजिटल अरेस्ट का सीधा मतलब ब्लैकमेलिंग होता है। डिजिटल अरेस्ट में साइबर अपराधी वीडियो कॉलिंग के जरिए पीड़ित को घर में बंधक बना लेते हैं। वह हर वक्त उस पर नजर रखते हैं। डिजिटल अरेस्ट के मामलों में ठग कोई सरकारी एजेंसी के अफसर या पुलिस अफसर बताकर वीडियो कॉल करते हैं। वे कहते हैं कि आपका आधार कार्ड, सिम कार्ड या खाते का इस्तेमाल किसी गैरकानूनी गतिविधि में हुआ है। गिरफ्तारी के डर दिखाकर वे रकम हड़प लेते हैं।
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