भारत

चार्जशीट में धारा ही बदल दी...भड़का हाईकोर्ट, जानें पूरा मामला

jantaserishta.com
23 May 2024 10:20 AM GMT
चार्जशीट में धारा ही बदल दी...भड़का हाईकोर्ट, जानें पूरा मामला
x
कोर्ट ने टिप्पणी की कि संबंधित आईओ को आईपीसी की धारा 302 के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण देने की जरूरत है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में हत्या से जुड़े एक मामले में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) को हटाकर उसकी जगह आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत आरोप पत्र दर्ज करने पर एक जांच अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई है। शुरुआती एफआईआर में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था लेकिन मामले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी ने चार्जशीट में धारा ही बदल दी। कोर्ट ने इसकी कड़ी निंदा की है।
जस्टिस मंजू रानी चौहान की पीठ ने आगरा के पुलिस कमिश्नर को संबंधित जांच अधिकारी (IO) को विशेष प्रशिक्षण पर भेजने का निर्देश दिया है। ताकि उसे आपराधिक मामलों की छानबीन के लिए कानूनी रूप से तैयार किया जा सके और उसे भारतीय दंड संहिता की अलग-अलग धाराओं की जानकारी हो सके। कोर्ट ने टिप्पणी की कि संबंधित आईओ को आईपीसी की धारा 302 के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण देने की जरूरत है।
पीठ ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि आईओ लेवल के अधिकारी को कानून की इतनी भी समझ नहीं है कि बिना सबूत के वह आईपीसी की धाराओं को नहीं बदल सकते हैं। अदालत ने आगे निर्देश दिया कि उनका प्रशिक्षण पूरा होने तक उन्हें किसी भी मुकदमे की जांच का जिम्मा नहीं सौंपा जाना चाहिए। कोर्ट ने यह आदेश भूदेव नामक शख्स की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसके खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था।
मामले की सुनवाई के आखिरी दिन जस्टिस चौहान ने जांच अधिकारी (IO) से यह बताने को कहा कि उन्होंने आईपीसी की धारा 302 को आईपीसी की धारा 306 में कैसे बदल दिया। इससे पहले जांच अधिकारी अपने व्यक्तिगत हलफनामे से अदालत को यह समझाने में विफल रहे थे कि उन्होंने किन परिस्थितियों में आईपीसी की धाराएं बदली थीं। आईओ ने अदालत से इस गलती के लिए माफी भी मांगी लेकिन मीलॉर्ड उन पर भड़क गईं।
जस्टिस चौहान ने इस मामले में कड़ा संज्ञान लिया और पाया कि संदिग्ध जांच अधिकारी ज्यादातर मामलों में नियमों का पालन किए बिना अपनी मर्जी से ही लापरवाही पूर्वक केसों को निपटाता रहा है। मौजूदा मामले का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि आईपीसी की धारा 302 के तहत अपराध के समर्थन में साक्ष्य जमा किए बिना ही जांच अधिकारी ने लापरवाही से केस को आईपीसी की धारा 306 में बदल दिया था।
Next Story