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अहम रोल: लापता लोगों को परिवार से मिलाया, आधार कार्ड की मदद से ऐसे हुआ ये सब...जानें स्टोरी

jantaserishta.com
28 Aug 2022 9:40 AM GMT
अहम रोल: लापता लोगों को परिवार से मिलाया, आधार कार्ड की मदद से ऐसे हुआ ये सब...जानें स्टोरी
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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान/पीटीआई

मुंबई: महाराष्ट्र में आधार कार्ड के लिए दिए गए साधारण से आवेदन ने उन 14 लोगों के जीवन को बदल दिया, जिनके बारे में सालों पहले उनके परिवारों ने लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी। मनकापुर में आधार सेवा केंद्र ने पिछले एक साल में अपने परिवारों से बिछड़े दिव्यांग व्यक्तियों, महिलाओं सहित अन्य लोगों को उनके अपनों से मिलाने में अहम भूमिका निभाई है।

केंद्र के प्रबंधक ऑनरेरी कैप्टन अनिल मराठे ने पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान विशेष मामलों की पहचान की, जिसमें बायोमेट्रिक के मुद्दों के कारण आवेदन खारिज हो जाते थे। मराठे ने कहा, 'इन सब की शुरुआत पिछले साल मानसिक रूप से अस्वस्थ 18 वर्षीय लड़के के आवेदन के साथ शुरू हुई, जिसके स्कूल को उसके आधार कार्ड के विवरण की जरूरत थी, लेकिन बायोमेट्रिक के मुद्दों के कारण उसका आवेदन हर बार खारिज हो जाता जाता।'
मराठे ने कहा कि लड़का आठ साल की उम्र में एक रेलवे स्टेशन पर मिला था। उसकी देखभाल एक अनाथालय और बाद में समर्थ दामले ने की, जिन्होंने उसे एक स्कूल में भर्ती कराया। उन्होंने कहा कि जब लड़के का आवेदन बार-बार खारिज होता रहा, तो दामले ने मनकापुर में केंद्र का रुख किया। यहां पता चला कि उसके लापता होने की सूचना मिलने से पहले 2011 में उसका आधार पंजीकरण हो चुका था। उन्होंने कहा, 'जांच से पता चला कि लड़के का नाम मोहम्मद आमिर था। वह मध्य प्रदेश के जबलपुर में अपने घर से लापता हो गया था। उसके आधार विवरण की मदद से हम उसके परिवार का पता लगाने में सक्षम रहे और वह अपने परिवार से फिर से मिल सका।'
मराठे बेंगलुरु में यूआईडीएआई तकनीकी केंद्र और मुंबई में क्षेत्रीय कार्यालय की मदद से विशेष प्रयास कर रहे हैं। बायोमेट्रिक डाटा के आधार पर लापता व्यक्तियों के आधार विवरण प्राप्त करने में सफल रहे हैं। केंद्र ने हाल में 21 वर्षीय दिव्यांग व्यक्ति की बिहार में उसके परिवार से फिर से मिलाने में मदद की थी, जिसके छह साल पहले लापता होने की सूचना मिली थी। व्यक्ति को प्रेम रमेश इंगले नाम दिया गया था, वह 15 साल की उम्र में नागपुर रेलवे स्टेशन पर मिला था। उसे एक अनाथालय में रखा गया था।
अनाथालय के अधिकारियों ने जुलाई में आधार पंजीकरण के लिए एएसके का दौरा किया, लेकिन व्यक्ति का आवेदन खारिज होता रहा। आगे की जांच में यह पाया गया कि आवेदक के नाम पर पहले से ही आधार कार्ड था, जो 2016 में बनाया गया था। उन्होंने कहा, 'व्यक्ति की पहचान बिहार के खगड़िया जिले के निवासी सोचन कुमार के रूप में हुई। 12 अगस्त को अंगूठे के निशान की मदद से उसकी पहचान का खुलासा हुआ। परिवार से बिहार में संपर्क किया गया और 19 अगस्त को कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद वह उसे परिवार के पास फिर से भेज दिया गया।'
नागपुर में लापता व्यक्तियों के अपने-अपने परिवारों से पुनर्मिलन की खबर पढ़ने के बाद पनवेल के एक आश्रम ने मुंबई में यूआईडीएआई केंद्र से अपने यहां रह रहे व्यक्तियों के बारे में संपर्क किया, वहां मराठे की ओर से एक शिविर का आयोजन किया गया। शिविर जून में पनवेल के वांगिनी गांव में गैर सरकारी संगठन सील द्वारा संचालित आश्रम में आयोजित किया गया था। आश्रम बेघर व्यक्तियों का पुनर्वास करता है और उन्हें परिवार से फिर से मिलाता है।
अधिकारी ने कहा कि संगठन अपने यहां रह रहे आश्रितों का आधार पंजीकरण कराना चाहता था। सभी के साथ एक ही समस्या आ रही थी क्योंकि उनका नामांकन आईडी (ईआईडी) खारिज हो जा रहा था। उन्होंने कहा कि 25 लापता लोगों का विवरण मिला। इनमें से सात को उनके परिवारों से फिर से मिला दिया गया है जबकि 18 अन्य के परिवारों का पता लगाने की प्रक्रिया जारी है।

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