दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने चंद्रयान-4 मिशन को लेकर अहम जानकारी दी है. पंजाब में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-4 मिशन एक ऐसा कॉन्सेप्ट है, जो चंद्रयान सीरीज की अगली कड़ी के तहत विकसित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्पेस रिसर्च एक सतत प्रक्रिया है. भारत इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2040 में चंद्रमा पर उतरने का लक्ष्य रखा है, जिस पर इसरो लगातार काम कर रहा है. हमारे प्रधानमंत्री ने ऐलान किया था कि 2040 में एक भारतीय चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. अगर ऐसा होता है तो हमें लगातार चंद्रमा को एक्सप्लोर करना होगा. चंद्रयान-4 इस दिशा में उठाया गया पहला कदम है. इस मिशन के तहत चंद्रयान-4 चंद्रमा पर जाकर सैंपल इकट्ठा करेगा और उन्हें वापस धरती पर लेकर आएगा.
चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 में भी लैंडर और रोवर को चांद पर भेजा गया था. हालांकि, इसमें ऑर्बिटर नहीं था. इसरो ने 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 लॉन्च किया था. 23 अगस्त की शाम को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी. इसके साथ ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर भेजने वाला भारत पहला देश बन गया था. चंद्रयान-3 मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास एक सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना और 'विक्रम' लैंडर व 'प्रज्ञान' रोवर पर लगे उपकरणों के जरिए चांद की सतह का अध्ययन करना शामिल था.
17 अगस्त 2023 को जो प्रोपल्शन मॉड्यूल विक्रम लैंडर से अलग हुआ था. पहले उसकी लाइफ 3 से 6 महीने बताई जा रही थी. लेकिन इसरो के मुताबिक, अभी वो कई सालों तक काम कर सकता है. इसरो ने साल 2008 में अपना पहला मून मिशन चंद्रयान-1 लॉन्च किया था. इसमें सिर्फ ऑर्बिटर था. जिसने 312 दिन तक चांद का चक्कर लगाया था. चंद्रयान-1 दुनिया का पहला मून मिशन था, जिसने चांद में पानी की मौजूदगी के सबूत दिए थे.
इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया. इसमें ऑर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी भेजे गए. हालांकि, ये मिशन न तो पूरी तरह सफल हुआ था न और न ही फेल. चांद की सतह पर लैंड करने से पहले ही विक्रम लैंडर टकरा गया था और इसकी क्रैश लैंडिंग हुई थी. हालांकि, ऑर्बिटर अपना काम कर रहा था.