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चंद्रयान-3 फिर चर्चा में! नई प्रजाति मिली, जानें पूरा माजरा

jantaserishta.com
6 May 2024 6:25 AM GMT
चंद्रयान-3 फिर चर्चा में! नई प्रजाति मिली, जानें पूरा माजरा
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शोधकर्ताओं ने ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता बाद यह फैसला किया है।
नई दिल्ली: अंतरिक्ष में भारत का नाम अमर कर चुके चंद्रयान-3 के नाम से अब एक जानवर की विशेष प्रजाति भी जानी जाएगी। खबर है कि तमिलनाडु के एक विश्वविद्यालय ने मरीन टार्डिग्रेड की एक नई प्रजाति का नाम 'Batillipes Chandrayaani' रखा है। शोधकर्ताओं ने ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता बाद यह फैसला किया है।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु के दक्षिण पूर्व तट पर मरीन टार्डिग्रेड की नई प्रजाति मिली है। कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (CUSAT) के शोधकर्ताओं ने मरीन टार्डिग्रेड का नाम चंद्रयान-3 पर रखा है। भारत ने बीते साल अगस्त में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था।
नेशनल जियोग्राफिक के अनुसार, टार्डिग्रेड 8 पैरों वाले बेहद ही छोटे जानवर होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि उनपर शायद प्रलय का भी असर नहीं होगा। देखने पर ये बहुत छोटे भालू की तरह भी लगते हैं। वेबसाइट के मुताबिक, दुनियाभर में टार्डिग्रेड्स की करीब 1300 प्रजातियां मौजूद हैं। इन्हें एक्वॉटिक भी माना जाता है, क्योंकि डिहाइड्रेशन से बचने के लिए इन्हें अपने शरीर के आसपास पानी की एक पतली परत की जरूरत होती है। खास बात है कि इन्हें पानी का भालू भी कहा जाता है। जबकि, असली भालुओं से इनका कोई कनेक्शन नहीं है।
नेशनल जियोग्राफिक किड्स के अनुसार, ये छोटे जानवर लगभग अविनाशी हैं। ये हिमालय के शीर्ष से लेकर समुद्र की गहराई में कई जगहों पर पाए जा सकते हैं। खास बात है कि ये 328 डिग्री फारेनहाइट से लेकर 304 डिग्री फारेनहाइट तक जीवित रह सकते हैं। अगर इन्हें पानी नहीं मिलता, तो ये एक सूखी गेंद में तब्दील हो जाते हैं। इनके शरीर का सिस्टम इतना धीमा हो जाता है कि वे लगभग मर ही जाते हैं। इस तरह ये कई दशक बिता सकते हैं। अब जब इन्हें दोबारा पानी मिलता है, तो ये कुछ घंटों में ही दोबारा जीवित हो जाते हैं।
CUSAT की यह खोज कई मायनों में खास है। नाम के अलावा यह मरीन टार्डिग्रेड की तीसरी मरीन प्रजाति है, जो भारतीय जलक्षेत्र से मिली है। पूर्वी तट पर ऐसा दूसरी बार हुआ है। Zootaxa जर्नल ने CUSAT के स्कॉलर विष्णुदत्तन एनके, एस बिजॉय नंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ मिन्हो पुर्तगाल के मार्कोस रूबल का इस खोज पर पेपर भी प्रकाशित किया है।
ISRO ने 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 को ऑर्बिट में लॉन्च किया था। यहां से उसकी चांद की यात्रा की शुरुआत हुई। लंबा सफर तय कर चंद्रयान-3 लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को लेकर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा था। खास बात है कि सॉफ्ट लैंडिंग की यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला भारत चौथा देश था। हाल ही में जापान की स्पेस एजेंसी JAXA को भी सफलता मिली है। इससे पहले अमेरिका, सोवियत यूनियन और चीन चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग का कीर्तिमान रच चुके हैं।
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