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उम्मीदों और बधाइयों का 40 दिन का सफर चंद्रयान-3, 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में जाएगा

Tara Tandi
15 July 2023 11:00 AM GMT
उम्मीदों और बधाइयों का 40 दिन का सफर चंद्रयान-3, 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में जाएगा
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टिक-टिक-टिक-टिक…. बड़ी सी घड़ी में काउंटडाउन चल रहा था। दोपहर के करीब अढ़ाई बजे थे। पूरा देश दिल थाम कर बैठ गया था। अचानक हर देशवासी सिर्फ मिशन चंद्रयान-3 के बारे में बात करने लगा। चंद्रयान-2 की नाकामयाबी को पीछे छोड़ इसरो टीम दोबारा इतिहास रचने के लिए तैयार थी। ठीक 2:35 बजे एलवीएम3-एम4 रॉकेट चंद्रयान-3 को लेकर रवाना हुआ, लेकिन अभी बात खत्म नहीं हुई थी। मिशन को अपनी पहली परीक्षा में खरा उतरना था। रॉकेट के उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद वह पल आ गया। प्रोपल्सन मॉड्यूल रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया। ऐसा होते ही सोमनाथ की आंखें चमकने लगीं। खिलखिलाकर हंसते हुए उन्होंने थम्प्स-अप किया…
अंतरिक्ष में इतिहास रचते हुए भारत ने चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग कर दी है। लांचिंग के दौरान पूरे देश की निगाहें श्रीहरिकोटा पर थीं और अब सबकी उम्मीदें लेकर चंद्रयान-3 अपने सफर पर निकल चुका है। चंद्रयान-3 का यह सफर लगभग 40 दिनों का होगा। इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारी कोशिश रहेगी कि चांद की सतह पर मून लैंडर विक्रम की सफल सॉफ्ट लैंडिंग हो जाए। चंद्रयान-2 के दौरान सॉफ्ट लैंडिंग में ही दिक्कत आ गई थी। हालांकि उसका ऑर्बिट अब भी काम कर रहा है।
विक्रम लैंडर यदि सफलता के साथ चांद की सतह पर उतर जाता है, तो भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश होगा, जो यह कारनामा कर पाएगा। भारत से पहले अमरीका, रूस और चीन ही अंतरिक्ष में इस लेवल पर पहुंच पाए हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक नरेंद्र भंडारी का कहना है कि अगस्त के आखिरी सप्ताह में किसी भी दिन चंद्रयान की लैंडिंग होगी। कह सकते हैं कि स्वतंत्रता दिवस के बाद भारत को चंद्रयान-3 की सफलता के साथ एक बड़ा तोहफा मिलने वाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार लैंडर विक्रम को लेकर बहुत सावधानी बरती गई है, ताकि सॉफ्ट लैंडिंग आसानी से हो सके। अनुमान है कि 23 अगस्त तक चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम उतर सकता है। भारत का मूनक्राफ्ट विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। भारत ने चंद्रयान मिशन की शुरुआत 2008 में की थी।
फायदे
चंद्रयान-3 मिशन के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं। चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग और चंद्रमा पर रोवर का संचालन, जो रसायनिक, मिट्टी, खनिजों का पता लगाएगा। इस तरह के मिशन में केवल कुछ ही देश सफल हुए हैं, चंद्रयान-3 की सफलता दुनिया के सामने अंतरिक्ष शोध में भारत की ताकत को प्रदर्शित करेगी। इसके अलावा, मिशन संभवत: चंद्रमा की बर्फ का नमूना लेने वाला पहला मिशन होगा। यह भी माना जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर देखे गए बड़े गड्ढों से पहले के सौर मंडलों की संरचना का सुराग मिल सकता है।
विक्रम लैंडर 96 मिलिसेकेंड्स में सुधारेगा गलतियां
विक्रम लैंडर के इंजन पिछली बार से ज्यादा ताकतवर हैं। पिछली बार जो गलतियां हुईं थी, उसमें सबसे बड़ी वजहों में से एक था कैमरा,जो आखिरी चरण में एक्टिव हुआ था, इसलिए इस बार उसे भी सुधारा गया है। इस दौरान विक्रम लैंडर के सेंसर्स गलतियां कम से कम करेंगे। उन्हें तत्काल सुधारेंगे। इन गलतियों को सुधारने के लिए विक्रम के पास 96 मिलीसेकेंड का समय होगा, इसलिए इस बार विक्रम लैंडर में ज्यादा ट्रैकिंग, टेलिमेट्री और कमांड एंटीना लगाए गए हैं यानी गलती की संभावना न के बराबर है।
लैंडर की ताकत, इंजन और लैंडिंग साइट का एरिया बढ़ाया
इस बार विक्रम लैंडर के चारों पैरों की ताकत को बढ़ाया गया है। नए सेंसर्स लगाए गए हैं। नया सोलर पैनल लगाया गया है। पिछली बार चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट का क्षेत्रफल 500 मीटर & 500 मीटर चुना गया था। इसरो विक्रम लैंडर को मध्य में उतारना चाहता था, जिसकी वजह से कुछ सीमाएं थीं। इस बार लैंडिंग का क्षेत्रफल चार किलोमीटर & 2.5 किलोमीटर रखा गया है। यानी इतने बड़े इलाके में चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर उतर सकता है।
पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में जाएगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 ट्रांस लूनर इंसरशन (टीएलआई) कमांड दिए जाएंगे। फिर चंद्रयान-3 सोलर ऑर्बिट यानी लंबे हाइवे पर यात्रा करेगा। 31 जुलाई तक टीएलआई को पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद चंद्रमा करीब साढ़े पांच दिनों तक चंद्रमा की ओर यात्रा करेगा। चंद्रमा की बाहरी कक्षा में वह पांच अगस्त के आसपास प्रवेश करेगा। यह गणनाएं तभी सही रहेंगी, जब सब कुछ सामान्य स्थिति में होगा। कोई तकनीकी गड़बड़ी होने पर इसमें समय बढ़ सकता है।
23 अगस्त को गति होगी धीमी, लैंडिंग होगी शुरू
चंद्रयान-3 चंद्रमा की 100&100 किलोमीटर की कक्षा में जाएगा। इसके बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएंगे। उन्हें 100 किलोमीटर & 30 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में लाया जाएगा। 23 अगस्त को डीबूस्ट यानी गति धीमी करने का कमांड दिया जाएगा। इसके बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर उतरना शुरू करेगा।
खुद लैंडिंग की जगह चुनेगा सभी खतरों को खुद भापेगा
लैंडिंग के लिए सही जगह का चुनाव वह खुद करेगा। इस बार कोशिश रहेगी कि विक्रम लैंडर इतने बड़े इलाके में अपने आप सफलतापूर्वक उतर जाए। इससे उसे ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है। इस लैंडिग पर नजर रखने के लिए चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अपने कैमरे तैनात रखेगा। साथ ही उसने ही इस बार की लैंडिंग साइट खोजने में मदद की है।
रॉकेट वूमन के हाथ चांद पर चंद्रयान उतारने की जिम्मेदारी
चांद पर चंद्रयान उतारने के इस मिशन की जिम्मेदारी संभाल रही हैं रितु कारिधाल। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ताल्लुक रखने वाली रितु कारिधाल को रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है, अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने के लंबे अनुभव को देखते हुए इसरो ने चंद्रयान-3 का मिशन डायरेक्टर रितु को बनाया है। इससे पहले वह चंद्रयान-2 समेत कई बड़े अंतरिक्ष मिशनों का हिस्सा रह चुकी हैं, खास बात ये है कि रितु कारिधाल उन वैज्ञानिकों में शुमार हैं जिन्होंने इसरो का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार जीता था। रितु कारिधाल चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर थीं। उनके अनुभव को देखते हुए 2020 में ही इसरो ने यह तय कर दिया था कि चंद्रयान-3 का मिशन भी रितु के ही हाथों में होगा। इस मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरामुथुवेल हैं। इसके अलावा चंद्रयान-2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहीं एम वनिता को इस मिशन में डिप्टी डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गई है जो पेलॉड, डाटा मैनेजमेंट का काम संभाल रही हैं।
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