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चंद्रशेखर आजाद ने किया नामांकन, दर्ज हैं 17 मामले, जानें बड़ी बातें

jantaserishta.com
9 Feb 2022 3:20 AM GMT
चंद्रशेखर आजाद ने किया नामांकन, दर्ज हैं 17 मामले, जानें बड़ी बातें
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गोरखपुर: यूपी विधानसभा चुनाव के लिए आजाद समाज पार्टी के चीफ चंद्रशेखर आजाद ने मंगलवार को गोरखपुर शहर सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है. चंद्रशेखर का मुकाबला मुख्य रूप से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से होगा. 34 साल के चंद्रशेखर उत्तराखंड के हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी, श्रीनगर से एलएलबी कर चुके हैं. उनके खिलाफ कुल 17 आपराधिक मामले दर्ज हैं.

चंद्रशेखर ने नामांकन के समय जो एफिडेविट इलेक्शन कमीशन को दिया है, उसमें उन्होंने खुद को सहारनपुर के छुटमलपुर का निवासी बताया है. उन्होंने बताया है कि 2012 में उन्होंने एचएनबीयू से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की है.
एफिडेविट में दी गई जानकारी में बताया गया है कि चंद्रशेखर के पास कैश 18 हजार रुपए हैं, वहीं उनकी पत्नी के पास 12 हजार रुपए कैश हैं. चंद्रशेखर के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया छुटमलपुर के खाते में 26 हजार 369 रुपए जबकि उनकी पत्नी के खाते में 84 हजार 307 रुपए है. उनकी पत्नी का एक और बैंक अकाउंट पंजाब नेशनल बैंक, मुजफ्फरनगर में है. इस खाते में 3 लाख 18 हजार 617 रुपए जमा हैं.
चंद्रशेखर सीए न्यूज नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी भी चलाते हैं. उसके अलावा जेवरात में 40 ग्राम सोने को दिखाया है, जिसका मूल्य 1 लाख 96 हजार रुपए हैं. इस हिसाब से चंद्रशेखर की कुल सकल संपत्ति 2 लाख 40 हजार 369 रुपए है.
वहीं, चंद्रशेखर की पत्नी के पास 400 ग्राम आभूषण जिसकी कीमत 19 लाख 60 हजार रुपए है. इस हिसाब से पत्नी की कुल सकल संपत्ति 23 लाख 74 हजार 924 रुपए है.
चंद्रशेखर ने अपनी जमीन का विवरण दिया है जिसमें अमरपुरशेख उर्फ चांदपुर में 02050 हेक्टेयर जमीन बताई गई है. उन्होंने अपनी आय का स्त्रोत वकालत एवं कृषि को बताया है जबकि उनकी पत्नी हाउस वाइफ हैं.
ऐसे चर्चा में आए थे चंद्रशेखर
चंद्रशेखर ने 2015 में दलित छात्रों का एक संगठन बनाया जिसका नाम इन्होंने 'भीम आर्मी' रखा. इसके बाद इस संगठन ने अपनी पहुंच बढ़ाई और धीरे-धीरे करके पूरे सहारनपुर में पैठ बनने लगी. इसके बाद इस संगठन को चर्चा मिली घड़कौली कांड से. सहारनपुर रोड एक घड़कौली नाम का गांव है, जिसके बाहर गांव के कुछ दलित युवकों ने 'द ग्रेट चमार' नाम का बोर्ड लगा दिया था.
यह बात वहीं के एक 'द ग्रेट राजपूताना' नाम के एक संगठन को पसंद नहीं आई. उस संगठन ने बोर्ड के ऊपर कालिख पोती और बोर्ड को गिरा दिया. इसके चलते दोनों समुदाय के बीच टकराव देखने को मिला था, जिसमें भीम आर्मी के युवकों ने गांव के लोगों का साथ दिया और काफी मशक्कत के बाद राजपूताना संगठन को आखिर पीछे हटना पड़ा. यहीं से इस संगठन की चर्चा होने लगी और संगठन मजबूत होता चला गया.
इसके बाद सहारनपुर में साल 2017 में राजपूतों और दलितों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था. इसमें चंद्रशेखर को मुख्य आरोपी बनाया गया था. इस हिंसा के बाद दिल्ली के जंतर-मंतर पर भीम आर्मी ने प्रदर्शन किया था. यहां से चंद्रशेखर पूरे देश की नजरों में आए थे और उन्हें लंबे समय तक जेल में भी रहना पड़ा.
योगी का गढ़ है गोरखपुर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ होने के कारण गोरखपुर सदर सीट पर पूरे यूपी की नजर रहती है. गोरक्षनाथ मंदिर का प्रभाव होने की वजह से राम मंदिर आंदोलन से लेकर मोदी लहर तक इस सीट की अहम भूमिका रही है. ये सीट लगातार बीजेपी के कब्जे में रही है. 1967 के बाद से अब तक हुए चुनाव में भाजपा हमेशा इस सीट पर जीती है. 2002 से लेकर 2017 तक भाजपा के राधा मोहनदास अग्रवाल यहां से विधायकी का चुनाव जीतते आए हैं. गोरखपुर की 9 विधानसभा सीटों में से गोरखपुर सदर विधानसभा की सीट में सबसे ज्यादा 474 पोलिंग बूथ इस सीट में ही हैं. योगी आदित्यनाथ के गोरक्षनाथ मंदिर पीठाधीश्वर बनने के बाद यह सीट उत्तर प्रदेश को प्रभावित करने वाली सीट बन गई है.
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