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चंद्रकांत पाटिल और एकनाथ शिंदे की होगी मुलाकात

jantaserishta.com
25 July 2022 7:01 AM GMT
चंद्रकांत पाटिल और एकनाथ शिंदे की होगी मुलाकात
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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान

मुंबई: महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने पिछले दिनों कहा था कि हमने कलेजे पर पत्थर रखकर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया था। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में भाजपा के भीतर एकनाथ शिंदे को लेकर असंतोष की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। इस बीच खुद एकनाथ शिंदे की आज चंद्रकांत पाटिल से मुलाकात होने वाली है। दिल्ली दौरे पर आए एकनाथ शिंदे आज दोपहर सीधे कोल्हापुर में चंद्रकांत पाटिल के घर पहुंचेंगे और उनकी दिवंगत मां सरस्वती बच्चू पाटिल को श्रद्धांजलि देंगे। उनका पिछले दिनों निधन हो गया था और उनकी श्रद्धांजलि का कार्यक्रम है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आज दोपहर दो बजे विमान से कोल्हापुर के लिए रवाना होंगे। वह शाम चार बजे कोल्हापुर एयरपोर्ट पहुंचेंगे। वहां से वे चंद्रकांत पाटिल के छत्रपति संभाजी पार्क स्थित आवास पहुंचेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री शाम 5.15 बजे फ्लाइट से मुंबई के लिए रवाना होंगे। बीते दिनों एक इवेंट में चंद्रकांत दादा पाटिल ने कहा था कि पिछले ढाई सालों के हालात देखने के बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की जरूरत पड़ी थी और यह बदलाव हुआ भी। हमें एक ऐसा नेता देने की जरूरत थी, जो सही संदेश दे सके। जो अपने फैसलों के जरिए प्रदेश में राजनीतिक स्थिरता ला सके।
चंद्रकांत पाटिल ने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस की जगह एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला पार्टी ने कलेजे पर पत्थर रखकर लिया था। हालांकि बाद में उन्होंने इस पर सफाई देते हुए कहा था कि हमने सही संदेश देने के लिए यह फैसला लिया है। चंद्रकांत पाटिल ने कहा था कि वसंतराव नाइक के बाद देवेंद्र फडणवीस लगातार पांच साल मुख्यमंत्री रहे। एकनाथ शिंदे को भारी मन से मुख्यमंत्री बनाए जाने के खुद प्रदेश अध्यक्ष के बयान से चर्चाएं तेज हो गई हैं। एक तरफ शिंदे सरकार में कैबिनेट का विस्तार नहीं हो सका है। ऐसे में इस बयान ने एकनाथ शिंदे गुट और भाजपा के बीच कड़वाहट के संकेत भी दिए हैं।
इसका असर मंत्री परिषद के गठन पर भी देखने को मिल सकता है। हालांकि बड़ी बात यह है कि चंद्रकांत पाटिल के बयान को भाजपा ने ट्विटर और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से हटा दिया है। बता दें कि एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की शपथ के कई सप्ताह बाद भी मंत्री परिषद के गठन को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका है और इसमें हो रही देरी ने सवाल खड़े किए हैं।


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