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आगरा: कभी डाकुओं के पनाहगार के रूप में कुख्यात चंबल की पहचान अब बदलने वाली है। सरकार इसे डॉल्फिन अभयारण्य के रूप में घोषित कर पर्यटकों को आकर्षित करने जा रही है। इसके लिए राष्ट्रीय चंबल सेंचुअरी प्रोजेक्ट की उप वन संरक्षक (वन्यजीव) आरुषि मिश्रा ने एक प्रस्ताव शासन को भेजा है।
डॉल्फिन अभयारण्य के लिए इटावा स्थित राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी के सहसों क्षेत्र का चयन किया है जहां बड़ी संख्या में डॉल्फिन पाई जाती हैं। आगरा में ताजमहल देखने आने वाले पर्यटक और वन्यजीव प्रेमी चंबल सेंचुअरी के साथ अब जल्द ही डॉल्फिन सफारी का भी आनंद ले सकेंगे।
इटावा स्थित चंबल सेंचुरी के सहसों के 20 किलोमीटर क्षेत्र में बड़ी संख्या में डॉल्फिन पाई जाती है। यहां पर इनकी संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है। राष्ट्रीय चंबल सेंचुअरी प्रोजेक्ट की उप वन संरक्षक (वन्यजीव) आरुषि मिश्रा ने बताया कि राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन के संरक्षण के लिए डॉल्फिन अभयारण्य का एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इटावा स्थित राष्ट्रीय चंबल सेंचुअरी के सहसों क्षेत्र को डॉल्फिन सेंचुरी के लिए चयन किया है। इसमें उन्होंने इटावा के सहसों का 20 किलोमीटर का दायरा चिह्नित किया है। इस स्थान पर 50 से 80 के करीब डॉल्फिन हैं। सैलानी यहां बैठकर डॉल्फिन को देख सकेंगे।
इस बार राष्ट्रीय चंबल सेंचुअरी प्रोजेक्ट के बाह और इटावा रेंज में 171 डॉल्फिन रिकॉर्ड की गई हैं जबकि साल 2012 के सर्वे में उनकी संख्या महज 78 थी। आरुषि मिश्रा ने बताया कि साल 1979 में घोषित राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य 635 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है। इसका विस्तार मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश तक है। इसमें साल 2008 से घड़ियालों की प्राकृतिक हैचिंग हो रही है। परिणाम स्वरूप उनकी संख्या भी 2,176 पर पहुंच गई है। इनके अलावा 878 मगरमच्छ के साथ उत्तर प्रदेश के इटावा तक करीब छह हजार दुर्लभ प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं। वहीं, चंबल सेंचुअरी में संरक्षित राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन का कुनबा भी बढ़ा है।
उप वन संरक्षक ने बताया कि डॉल्फिन सफारी के लिए भारत सरकार ने दो स्थानों को प्रमुखता दी है। बीते दिनों वाराणसी और चंबल का प्रजेंटेशन भारत सरकार के सामने हो चुका है। चंबल की वास्तविक स्थिति देख सभी खुश थे। यह इको टूरिज्म और डॉल्फिन संरक्षण की दिशा में भी सरकार का बड़ा कदम है।
गौरतलब है कि गंगा नदी में पायी जाने वाली डॉल्फिन भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव है। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहर सिंह ने 5 अक्टूबर 2009 को डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था। इसके बाद से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा हर वर्ष 5 अक्टूबर को गंगा डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि 2012 में प्रदेश की नदियों में डॉल्फिन की हुई गणना में डॉल्फिन की संख्या 671 थी, जिसमें से 78 चंबल में थीं। इस समय राष्ट्रीय चंबल सेंचुअरी क्षेत्र के बाह रेंज में 24 और इटावा रेंज में 147 डॉल्फिन हैं।
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