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प्रचार के उत्कर्ष व संवेदनहीनता के बीच मन की बात का 'शतक '

Nilmani Pal
2 May 2023 5:45 AM GMT
प्रचार के उत्कर्ष व संवेदनहीनता के बीच मन की बात का शतक
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निर्मल रानी

देश की जनता तक प्रधानमंत्री की अपनी बात पहुँचाने का इकतरफ़ा संवाद कार्यक्रम 'मन की बात' का सौवां एपिसोड गत 30 अप्रैल (रविवार ) को अभूतपूर्व प्रचार के बीच पूरे उत्सव के रूप में प्रसारित किया गया। 2014 में सत्ता में आने के बाद 3 अक्टूबर 2014 को इस रेडिओ कार्यक्रम का पहला एपिसोड प्रसारित किया गया था। 30 अप्रैल को,प्रसारित किये गये इस 'शतकीय 'एपिसोड को देश विदेश में अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिये युद्धस्तरीय तैयारियां की गयी थीं। देशभर के क़रीब 4 लाख केंद्रों में सामूहिक रूप से सुने गये इस कार्यक्रम को देश की अधिक से अधिक जनता तक पहुँचाने के लिये देश भर की भाजपाई सरकारों के मुख्यमंत्रियों,केंद्रीय मंत्रियों,राज्यपालों,सांसदों,विधायकों आदि सभी ने अपनी पूरी ताक़त झोंक दी थी। इस प्रसारण के कई दिन पहले से ही देश भर के सैकड़ों भाजपाई मंत्रियों,नेताओं व सत्ता समर्थक अनेक लेखकों ने कार्यक्रम की तारीफ़ संबंधी आलेख देश भर के समाचार पत्रों में प्रकाशित करवा कर कार्यक्रम की तारीफ़ के पुल बाँधने शुरू कर दिये थे। देश भर के रेलवे स्टेशंस,एयर पोर्ट्स,बस स्टैंड्स,पोस्ट ऑफ़िस सहित लगभग सभी केंद्रीय कार्यालयों में लाखों की तादाद में तरह तरह के बैनर्स लगाकर जनता को मन की बात का सौवां एपिसोड सुनने के लिये प्रेरित किया जा रहा था। अकेले उत्तर प्रदेश में ही मन की बात को सुनने के लिए अति विशेष प्रबंध किए गए थे जहाँ राज्य में 55 हज़ार ऐसे केंद्र बनाए गए थे जहां लोग इस कार्यक्रम को सुन रहे थे। भाजपा के लगभग सभी सांसद, विधायक, मंत्री सब अपने अपने क्षेत्रों में जनता के साथ मन की बात कार्यक्रम सुन रहे थे। मन की बात के सौवें एपिसोड प्रसारण समारोह पर आधारित एक स्मारक डाक टिकट और एक सिक्का भी जारी किया गया। सरकार की पूरी कोशिश थी कि इस कार्यक्रम को युद्धस्तर पर अति प्रचारित कर किसी तरह पूरे देश की जनता के साथ संवाद स्थापित किया जा सके।

बहरहाल प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात सौवां एपिसोड पेश कर कर दिया । इसमें उन्होंने कहा कि -'ये मेरे लिए सिर्फ़ कार्यक्रम नहीं, बल्कि पूजा और व्रत की तरह है। 'मन की बात' मेरे लिए दूसरों के गुणों की पूजा करने के जैसा ही रहा है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि 'मन की बात' करोड़ों भारतीयों के मन की बात है। यह उनकी भावनाओं का प्रकटीकरण है।' उन्होंने कार्यक्रम में पूर्व के 'सेल्फ़ी विद डॉटर' अभियान का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये 'सेल्फ़ी का मुद्दा नहीं था बल्कि ये बेटियों से जुड़ा था जिसमें लोगों ने बहुत शानदार तरीक़े से भाग लिया। इस अभियान का मकसद लोगों को जीवन में बेटी के महत्व को समझाना था।' जिस समय प्रधानमंत्री बेटियों संबंधी अपने मन के उदगार पेश कर रहे थे ठीक उसी समय जंतर मंतर पर धरने पर बैठी वे बेटियां भी प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को बड़े ग़ौर से सुन रही थीं जो देश के लिये विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं में पदक जीत कर लाई हैं और विश्व में देश और राष्ट्रीय ध्वज का मान बढ़ाया है। कथित तौर पर एक भाजपाई सांसद के यौन उत्पीड़न की शिकार देश की गौरव यह बेटियां जानना चाह रही थीं कि जो प्रधानमंत्री मन की बात के माध्यम से लोगों को जीवन में बेटी के महत्व को समझाना चाह रहे हैं उनकी नज़रों में इन प्रतिभाशाली परन्तु पीड़ित लड़कियों के बारे में क्या विचार हैं।

कितना अच्छा होता यदि 'बेटी के महत्व को समझाने ' वाले प्रधानमंत्री जी महीनों से चली आ रही इन बेटियों की फ़रियाद को भी सुनते और आरोपी के विरुद्ध एफ़ आई कर उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाती। परन्तु अफ़सोस की बात है कि देश की बेटियों की फ़िक्र करने का स्वांग रचने वाली सरकार पुलिस एफ़ आई आर तक नहीं करवा सकी। और धरने पर बैठी इन बेटियों की फ़रियाद सर्वोच्च न्यायालय ने सुनी उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा एफ़ आई आर दर्ज की गयी ? इतना ही नहीं बल्कि एफ़ आई आर दर्ज होने के बावजूद आरोपी की गिरफ़्तारी को लेकर आना कानी जारी रही ? हाँ,आरोपी सांसद अपने दल बल के साथ प्रधानमंत्री की 'मन की बात ' ज़रूर सुनता रहा। केवल महिला पहलवानों का अपमान ही नहीं बल्कि चीन की बढ़ती घुसपैठ, अडानी से जुड़ा देश का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला,बढ़ती आर्थिक असमानता, दैनिक उपयोग की आवश्यक वस्तुओं की बेतहाशा बढ़ती महंगाई, पेट्रोल डीज़ल व गैस के रिकार्ड मूल्य, किसान संगठनों से किए गए वादों को पूरा करने व भ्रष्टाचार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई चर्चा इस कार्यक्रम में नहीं की गयी। जोकि वास्तव में सीधे तौर पर देश की जनता से जुड़े विषय हैं।

इन दिनों एक और एक और अत्यंत गंभीर व महत्वपूर्ण विषय भाजपा नेता व पूर्व राज्यपाल सतपाल मालिक ने छेड़ रखा है। वे पुलवामा में सी आर पी जवानों पर हुए हमले के लिये सरकार की लापरवाही को ही ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। वे प्रधानमंत्री मोदी का नाम लेकर कह रहे हैं कि मोदी ने उनसे इस हमले पर चुप रहने के लिये कहा जिसमें चालीस जवान शहीद हुये थे। सतपाल मालिक के अति गंभीर आरोपों को हालांकि 'गोदी मीडिया' ने ब्लैक आउट कर रखा है उसके बावजूद सोशल मीडिया पर बार बार पुलवामा में सी आर पी जवानों पर हुए हमले का ज़िक्र कर वे सीधे तौर पर प्रधानमंत्री को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। देश को उम्मीद थी कि मन की बात के सौवें एपिसोड में प्रधानमंत्री बतायेंगे कि जिन पुलवामा शहीदों की जवाबी कार्रवाही के रूप में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक की गयी उसके बाद इन्हीं मुद्दों को चुनावी लाभ के लिये इस्तेमाल किया गया, वास्तव में इस पूरे प्रकरण की वास्तविकता क्या है ? परन्तु मन की बात के श्रोताओं को इस विषय पर भी मायूसी ही हाथ लगी।

इसी प्रकार सतपाल मालिक का एक और अति गंभीर आरोप कश्मीर में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से जुड़ा है। उन्होंने आर एस एस के एक वरिष्ठ नेता का नाम लेकर कुछ तथ्य उजागर किये। देश में घूम घूम कर भ्रष्टाचार समाप्त करने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री आख़िर सतपाल मलिक के इतने बड़े रहस्योदघाटन पर भी ख़ामोश क्यों रहे ? इसतरह के गंभीर विषयों को मन की बात में शामिल न करना निश्चित रूप से इसी निष्कर्ष पर पहुँचने के लिये विवश करता है कि प्रचार के उत्कर्ष व संवेदनहीनता के बीच पूरे उत्सव की तरह मन की बात का 'शतकीय ' एपिसोड प्रसारित किया गया।

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