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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को 100 दिवसीय तपेदिक (टीबी) उन्मूलन अभियान शुरू करने की घोषणा की, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित ‘टीबी मुक्त भारत’ दृष्टिकोण के अनुरूप है।
मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा शनिवार को हरियाणा के पंचकूला से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और राज्य की स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव की मौजूदगी में इस अभियान की शुरुआत करेंगे।
यह अभियान राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत देश में टीबी अधिसूचना और मृत्यु दर की चुनौतियों का समाधान करके लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। भारत का लक्ष्य 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले 2025 तक टीबी को खत्म करना है।
33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 347 जिलों में लागू की जाने वाली इस पहल को टीबी के मामलों का पता लगाने, निदान में देरी को कम करने और विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले समूहों में उपचार के परिणामों में सुधार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
सरकार के इस 100-दिवसीय अभियान में प्रमुख आउटपुट संकेतकों - टीबी घटना दर, निदान कवरेज और मृत्यु दर पर कार्यक्रम के प्रदर्शन में सुधार की परिकल्पना की गई है।
मंत्रालय ने बताया कि यह हाल ही में मंत्रालय द्वारा की गई नीतिगत संवर्द्धन के अनुरूप है, जिसमें टीबी रोगियों के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत वित्तीय सहायता में वृद्धि और सामाजिक सहायता पहल, प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत घरेलू संपर्कों को शामिल करना शामिल है।
यह पहल देश भर में आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के विशाल नेटवर्क का लाभ उठाएगी, जिन्होंने टीबी सेवाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाया है।
ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से अक्टूबर 2024 के बीच लगभग 21.69 लाख टीबी मामलों की सूचना दी गई है। भारत में टीबी की सूचना एक चिंता का विषय रही है, लेकिन देश में हाल के वर्षों में सुधार देखा गया है। देश में घातक संक्रामक रोग और उससे संबंधित मौतों की दर में बड़ी गिरावट देखी गई है।
सरकार के अनुसार, भारत में टीबी के मामलों में 2015 के 237 प्रति 1 लाख आबादी से घटकर 2023 में 195 प्रति 1 लाख आबादी हो गई है, यानी 17.7 प्रतिशत की कमी आई है। टीबी से होने वाली मौतों में 2015 के 28 प्रति लाख आबादी से घटकर 2023 में 22 प्रति लाख आबादी हो गई है, यानी 21.4 प्रतिशत की कमी आई है।
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