भारत
मनरेगा में कमजोर वर्गों के लिए अधिक राशि दे केंद्र सरकार, RSS से जुड़े स्वदेशी जागरण ने की प्रोत्साहन की मांग
Deepa Sahu
6 Jun 2021 1:29 PM GMT
x
कोरोना महामारी की दूसरी लहर से उपजे संकट को देखते हुए।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर से उपजे संकट को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने केंद्र सरकार से ग्रामीण रोजगार (Rural Employment) का समर्थन करने के लिए मनरेगा (MNREGA) के लिए धन आवंटन में पर्याप्त बढ़ोतरी करने और कमजोर वर्गों की मदद करने के लिए मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के अलावा अन्य उपाय करने का आग्रह किया है.
रविवार को संपन्न हुई अपनी दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक में एसजेएम ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कुछ और महीनों के लिए इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के विस्तार की मांग की गई और इसका दायरा अन्य महामारी प्रभावित क्षेत्रों में बढ़ाने के लिए कहा गया.
भारत में अब तक कोरोना के 28.2 मिलियन मामले सामने आए हैं और इससे 3.40 लाख मौतें हुई हैं. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि 2019 की चौथी तिमाही के सापेक्ष वैश्विक कामकाजी घंटों में 8.8 फीसदी की कमी आई है, जोकि 255 मिलियन पूर्णकालिक नौकरियों के खोने के बराबर है. SJM ने बताया है कि भारत ने भी नौकरी के लिए संघर्ष किया है
एसजेएम संकल्प ने कहा कि भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी पिछले साल महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई है क्योंकि इसकी जीडीपी में 7.9 फीसदी की कमी आई है. देश ने कोरोना की पहली लहर का सामना करने के बाद कुछ प्रभावशाली सुधार किया लेकिन अप्रैल 2021 में अधिक गंभीर दूसरी लहर की शुरुआत ने पिछले आर्थिक लाभ को कम कर दिया और आर्थिक सुधार को प्रभावित किया.
कम पैसे में किया जाना चाहिए इलाज
उसने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर उचित निर्णय लेने की अधिक स्वतंत्रता दी है फिर भी राष्ट्रव्यापी अप्रैल से मई 2020 लॉकडाउन के दौरान 100 मिलियन नौकरियां चली गईं और मई 2021 के महीने में 15.3 मिलियन नौकरियां चली गईं, जोकि भारत के शहरी क्षेत्रों में 18 फीसदी बेरोजगारी दर को प्रभावित करता है. एसजेएम ने कहा, 'कॉर्पोरेट और व्यावसायिक घरानों को कोविड रिलीफ के लिए लीबरल कॉन्ट्रीब्यूशन, बिना छंटनी के कर्मचारियों को वेतन का भुगतान और एमएसएमई व पाइवेट हेल्थ केयर प्रदाताओं को बकाया राशि का समय पर भुगतान करके इस कठिन समय में पूरी तरह से समर्थन करना चाहिए. यह महसूस करना चाहिए कि यह समय लाभ कमाने का नहीं है और कम पैसे में इलाज करना सुनिश्चित किया जाना चाहिए.'
Next Story