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केंद्र सरकार: देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अवैध रोहिंग्या प्रवासी सबसे बड़ा खतरा, भारत-म्यांमार सीमा पर निगरानी

Renuka Sahu
21 July 2021 4:35 AM GMT
केंद्र सरकार: देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अवैध रोहिंग्या प्रवासी सबसे बड़ा खतरा, भारत-म्यांमार सीमा पर निगरानी
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फाइल फोटो 

सरकार का कहना है कि अवैध रोहिंग्या प्रवासी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं. साथ ही ये भी कहा गया कि कुछ अवैध रोहिंग्या प्रवासी गैर-कानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मॉनसून सत्र में लोकसभा की कार्यवाही अब तक विपक्ष के हंगामे के चलते बाधित रही है. इसका सबसे बड़ा कारण फोन टैपिंग के जरिए जासूसी का मुद्दा है. दो दिन चले सदन में विपक्षी दलों ने इतना हंगामा मचाया कि किसी मसले पर विस्तार से चर्चा ही नहीं हो पाई. लेकिन मंगलवार को लोकसभा में सरकार की ओर से एक ऐसी जानकरी दी गई जो चौंकाने वाली है.

सरकार का कहना है कि अवैध रोहिंग्या प्रवासी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं. साथ ही ये भी कहा गया कि कुछ अवैध रोहिंग्या प्रवासी गैर-कानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं.
बता दें कि भारत शरणार्थियों से संबंधित 1951 के संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन और उससे संबंधित प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है. ऐसे में कोई बिना दस्तावेजों के भारत में प्रवेश करता है तो उसे अवैध प्रवासी माना जाता है और उसके खिलाफ कानून के मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक कार्रवाई होती है.
BSP सांसद रितेश पांडे के सवाल के लिखित जवाब में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें भारत से रोहिंग्याओं के प्रत्यर्पण न करने का आग्रह किया गया है. ये मामला अभी विचाराधीन है. हालांकि, अदालत ने रोहिंग्या के निर्वासन पर कोई स्थगन आदेश नहीं दिया है.
भारत-म्यांमार सीमा पर निगरानी
इधर, केंद्र सरकार ने सीमा सुरक्षा बल और असम राइफल्स को निर्देश जारी किया है कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर कड़ी निगरानी और सतर्कता बरती जाए. साथ ही अवैध घुसपैठ रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाए.
दरअसल, म्यांमार में मचे आंतरिक कलह के चलते वहां के नागरिकों के भारत-म्यांमार सीमा के रास्ते भारतीय क्षेत्र में घुसने की सूचनाएं मिली हैं, लेकिन भारतीय सीमा में घुसने वालों के संबंध में कोई सटीक आंकड़ा नहीं है.
वहीं, म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में मनरेगा के तहत काम देने के सवाल पर कहा गया कि मिजोरम सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा कोई फैसला नहीं किया गया है.


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