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विपक्ष ने लगाया था आरोप
नई दिल्ली। CoWin डेटा लीक मामले में सरकार की ओर से सफाई दी गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि कोविन डेटा उल्लंघन का दावा करने वाली खबर निराधार और शरारतपूर्ण प्रकृति की है, पोर्टल पूरी तरह से सुरक्षित है। बता दें कि इससे पहले खबर आई थी कि कोविड वैक्सीनेशन पोर्टल कोविन (CoWIN) से नागरिकों का पर्सनल डेटा, आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट जैसी जानकारी लीक हो गई हैं। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि CoWIN पर लोगों द्वारा दर्ज की गई व्यक्तिगत जानकारी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म टेलीग्राम पर उपलब्ध है।
कोरोना वैक्सीन लगवाने वालों का डेटा लीक होने की खबरों को लेकर केंद्र सरकार ने बयान दिया है. केंद्र सरकार ने कहा कि को-विन पोर्टल डेटा गोपनीयता के लिए सुरक्षा उपायों के साथ पूरी तरह सुरक्षित है. डेटा लीक होने की सभी रिपोर्ट्स बिना किसी आधार की हैं. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय से इसे लेकर एक रिपोर्ट भी जारी करने को कहा है. केंद्र के आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि डाटा लीक होने के मामले पर हम नज़र बनाए हुए हैं. आईटी राज्यमंत्री के अनुसार टेलीग्राम पर जो CoWin का डाटा वायरल हो रहा है, उसे देख कर लगता है कि पिछली बार जिस हैकर ने डाटा चोरी किया था, उसे ही टेलीग्रा बोट ने एक्सेस किया है.
डाटा लीक होने की खबरों के बीच नेताओं ने इसे लेकर बयान दिए हैं. TMC नेता साकेत गोखले ने केंद्र सरकार पर डाटा लीक होने को कई आरोप लगाये हैं. टीएमसी नेता ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाने वाले कई नागरिकों का डेटा लीक हो गया है. इसमें राजनीति और पत्रकारिता से जुड़ी नामीगिरामी हस्तियां शामिल हैं. इस मामले में केंद्र सरकार के रवैये पर भी टीएमसी नेता ने नाराजगी जताई है. साकेत गोखले ने ट्वीट करते हुए लिखा कि बेहद चिंताजनक. मोदी सरकार में लोगों से जुड़े डेटा लीक हुए हैं. वैक्सीन लगवाने वाले सभी लोगों की पर्सनल जानकारियां लीक हो गई हैं. इसमें लोगों के मोबाइल, आधार और पासपोर्ट नंबर के अलावा वोटर आईडी, परिवार के लोगों की जानकारियां भी शामिल हैं.
टीएमसी नेता ने आरोप लगाया कि कई विपक्षी दलों के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की जानकारियां लीक हुई हैं. इसमें टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और केसी वेणुगोपाल, राज्यसभा के उप-सभापति हरिबंश नारायण सिंह, राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव, अभिषेक मनु सिंघवी और संजय राउत जैसे नेताओं का नाम है.
टीएमसी नेता ने कहा कि क्यों केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय इस मामले से अनभिज्ञ है? आखिर लोगों को डाटा लीक होने की जानकारी क्यों नहीं दी गई? मोदी सरकार ने भारतीयों की पसर्नल जानकारियों तक पहुंचने में किसे मदद दी है, जिसकी वजह से डाटा लीक हुआ है? टीएमसी नेता ने कहा है कि ये पूरा मामला गंभीर और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है. इस गंभीर डाटा लीक के लिए केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव जिम्मेदार हैं. उन्हें रेलवे के साथ ही इस मंत्रालय का कामकाज सौंपा गया है. कब तक पीएम मोदी अपने मंत्री की अक्षमता की अनदेखी करते रहेंगे?
ट्विटर पर कई लोग इसके स्क्रीनशॉट लेकर शेयर कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जब टेलीग्राम बॉट पर कोविन पोर्टल के साथ रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर दर्ज किया जाता है, तो जेंडर, जन्मतिथि, वैक्सीनेशन सेंटर का नाम और डोज के साथ-साथ वैक्सीनेशन के लिए इस्तेमाल किए गए ID कार्ड की डिटेल भी सामने आ जाती है। बता दें कि जब वैक्सीन की डोज उपलब्ध होती थी, तो लोग एक ही मोबाइल नंबर से परिवार के कई सदस्यों के लिए स्लॉट बुक करते थे। रिपोर्ट के अनुसार, यदि दर्ज किए गए मोबाइल नंबर से कई लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, तो टेलीग्राम (Telegram) बॉट एक ही बार में उन सभी की डिटेल भी नजर आ रही है, यानी एक साथ कई लोगों का डेटा खतरे में पड़ गया है।
मलयालम डेली की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण का भी पर्सनल डाटा लीक हुआ है, जब उनका नंबर दर्ज किया गया, तो उनके आधार नंबर के अंतिम चार अक्षर और जन्मतिथि के साथ-साथ उनकी पत्नी रितु खंडूरी की डिटेल भी सामने आ गई। रितु उत्तराखंड के कोटद्वार से विधायक हैं। इनके अलावा कोविन हाई पावर पैनल के अध्यक्ष राम सेवक शर्मा, केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी की निजी जानकारियां भी लीक हुई हैं। इससे पहले 2021 में ऐसी खबरें सामने आई थीं कि CoWIN पोर्टल हैक हो गया और इसके परिणामस्वरूप 15 करोड़ लोगों के डेटाबेस की बिक्री हुई. हालांकि, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स ने इससे इनकार किया था।
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Shantanu Roy
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