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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से की अपील- मराठा आरक्षण निरस्त करने के फैसले पर करें पुनर्विचार

Deepa Sahu
14 May 2021 12:38 PM GMT
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से की अपील- मराठा आरक्षण निरस्त करने के फैसले पर करें पुनर्विचार
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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह पांच मई के बहुमत से लिए गए

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह पांच मई के बहुमत से लिए गए अपने फैसले पर पुनर्विचार करे. इस फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा है कि 102वें संविधान संशोधन के बाद राज्यों के पास नौकरियों और दाखिलों में आरक्षण प्रदान करने के लिए सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (SEBC) की घोषणा करने का अधिकार नहीं है. मामले में केंद्र ने उल्लेख किया है कि संशोधन ने एसईबीसी की पहचान और घोषणा करने संबंधी राज्यों की शक्तियां नहीं छीनी हैं और शामिल किए गए दो प्रावधानों ने संघीय ढांचे का उल्लंघन नहीं किया है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठाओं को दिए गए आरक्षण को खारिज कर दिया था और आरक्षण को 50 प्रतिशत तक सीमित रखने के 1992 के मंडल संबंधी निर्णय को वृहद पीठ को भेजने से इनकार कर दिया था. पीठ ने 3:2 के बहुमत से किए गए अपने निर्णय में व्यवस्था दी थी कि 102वां संविधान संशोधन, जिसके चलते राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) की स्थापना हुई, केंद्र को एसईबीसी की पहचान और घोषणा करने की विशेष शक्ति देता है क्योंकि केवल राष्ट्रपति ही सूची को अधिसूचित कर सकते हैं.
केंद्र की खुली अदालत में सुनवाई करने की अपील
वर्ष 2018 में किए गए 102वें संविधान संशोधन में दो अनुच्छेद लाए गए थे जिनमें 338 बी एनसीबीसी के ढांचे, दायित्व और शक्तियों से संबंधित है और अनुच्छेद 342ए किसी खास जाति को एसईबीसी के रूप में अधिसूचित करने की राष्ट्रपति की शक्ति और सूची में बदलाव की संसद की शक्ति से संबंधित है. केंद्र ने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए बृहस्पतिवार को याचिका दायर की जिसमें मामले में खुली अदालत में सुनवाई करने और संशोधन के सीमित पहलू पर बहुमत से लिए गए निर्णय को याचिका पर फैसला होने तक स्थगित रखने का आग्रह किया गया है.
महाराष्ट्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की कही थी बात
महाराष्ट्र सरकार मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के लिए एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में समिति का गठन करेगा. महाराष्ट्र के मंत्री अशोक चव्हाण ने इस संबंध में जानकारी दी थी. शीर्ष अदालत ने मराठा को आरक्षण प्रदान करने के महाराष्ट्र के कानून को रद्द कर दिया था. मराठा आरक्षण पर राज्य सरकार की उप समिति के प्रमुख चव्हाण ने कहा था कि समिति गहराई से सुप्रीम कोर्ट के 500 से ज्यादा पन्नों में दिए गए आदेश का अध्ययन करेगी और 15 दिन में एक रिपोर्ट सौंपेगी. इसके बाद राज्य सरकार पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर फैसला करेगी.
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