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महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
नई दिल्ली: हिंसा प्रभावित मणिपुर में केंद्रीय बलों और विशेष रूप से असम राइफल्स की तैनाती पर बढ़ते विवाद के बीच, सुरक्षाकर्मी और अधिकारी स्थानीय किसानों की मदद के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। असम राइफल्स के एक सूत्र ने कहा कि हम अपनी उपस्थिति और एरिया डोमिनेशन के माध्यम से सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। दशकों तक, बल को 'पहाड़ी लोगों का मित्र' भी कहा जाता था, लेकिन समय-समय पर उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ा या सामाजिक-राजनीतिक संगठनों की जांच के दायरे में आना पड़ा।
लेकिन हाल ही में, मणिपुर में हिंसा प्रभावित बस्तियों में जहां सिंचाई और जल आपूर्ति परियोजनाओं को उपद्रवियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था, वहां असम राइफल्स के अधिकारियों और कर्मियों ने जल आपूर्ति बहाल करने में किसानों की मदद की है।
ऐसा ही एक मामला लोइबोल खुनौ गांव से सामने आया है। यहां पर गांव को जलाने के साथ-साथ उपद्रवियों ने कथित तौर पर प्रोजेक्ट को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि लीमरम नाम के एक अन्य गांव में पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हुई थी, लेकिन अब चीजें बहाल हो गई हैं और ग्रामीणों को पीने का पानी मिल रहा है तथा कुछ किसान खेती करने में अब सक्षम हैं।
जांगलेंफाई गांव में भी जलधारा पर सिंचाई चैनल का काम नागरिकों और असम राइफल्स द्वारा किया गया था। सूत्र ने कहा, इससे बाद में कामोंग गांव में धान के खेतों की सिंचाई में भी मदद मिली।
खेती-किसानी से जुड़े मामलों पर तमाम 'कमियों' के बावजूद एन बीरेन सिंह सरकार भी किसानों की मदद करने की पूरी कोशिश कर रही है। राज्य सरकार ने मंत्रियों और विधायकों सहित वीआईपी लोगों के एस्कॉर्ट और सुरक्षा कवर के लिए बलों की तैनाती में 'कटौती' की घोषणा की है। राज्य सरकार ने किसानों की सुरक्षा के लिए कम से कम 2000 राज्य बल के जवानों को भी तैनात किया है।
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