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सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी कसौली ने बच्चों की स्वदेशी वैक्सीन के पहले बैच को दी मंजूरी

Kunti Dhruw
3 Oct 2021 4:14 PM GMT
सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी कसौली ने बच्चों की स्वदेशी वैक्सीन के पहले बैच को दी मंजूरी
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देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच बच्चों के लिए बहुप्रतीक्षित वैक्सीन का इंतजार खत्म हो गया है।

देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच बच्चों के लिए बहुप्रतीक्षित वैक्सीन का इंतजार खत्म हो गया है। जायडस कैडिला कंपनी की स्वदेशी वैक्सीन जायकॉव-डी को मान्यता देने वाली सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी (सीडीएल) कसौली ने मंजूरी दे दी है। यह बच्चों का पहला और कुल तीसरा भारतीय टीका होगा। मंजूरी मिलने के बाद अब कंपनी डीएनए आधारित कोरोना वैक्सीन को मार्केट में उतारेगी।

बीते दिनों वैक्सीन के चार बैच लैब पहुंचे थे। परीक्षण के बाद सीडीएल कसौली से लगभग 1.35 लाख डोज का पहला बैच रिलीज कर दिया है। दूसरे चरण के लिए अन्य बैच पर परीक्षण शुरू हो गया है। खास बात यह है कि जायकॉव-डी वैक्सीन 12 साल और इससे ज्यादा उम्र के बच्चों समेत सभी आयु वर्ग पर कारगर होगी। सीडीएल कसौली ने बाकायदा अपनी वेबसाइट में इसकी पुष्टि की है।
इससे पहले जायडस कैडिला कंपनी सीडीएल कसौली में क्लीनिकल ट्रायल के लिए बैच लगातार भेज रही थी। यह बैच परीक्षण में खरे उतरे, जिसके बाद कंपनी ने ड्रग्स कंट्रोलर जरनल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मांगी। मंजूरी के बाद कंपनी ने वैक्सीन बाजार में उतारने के लिए चार बैच सीडीएल भेजे थे। जहां से अब पहले बैच को मंजूरी मिली है और कंपनी अब वैक्सीन को बढ़ाकर लगातार बैच जांच के लिए भेजेगी। उल्लेखनीय है कि भारत में दो स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन, कोविशील्ड समेत रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-बी को सीडीएल कसौली ने मान्यता दी है।
डीएनए आधारित वैक्सीन की लेनी होगी तीन डोज
जायकोव-डी डीएनए आधारित वैक्सीन है। इसमें कोरोना वायरस का जेनेटिक कोड है जो टीका लगवाने वाले के शरीर में इम्यून सिस्टम को सक्रिय करता है। यह तीन डोज वाला टीका है। पहली डोज लेने के 28वें दिन दूसरी और 56वें दिन तीसरी डोज लेनी होगी।
सुई नहीं, फार्माजेट तकनीक से लगेगी वैक्सीन
जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन पहली पालस्मिड वैक्सीन है। इसे बिना सुई की मदद से फार्माजेट तकनीक से लगाया जाएगा। इससे साइड इफेक्ट के खतरे कम होते हैं। बिना सुई वाले इंजेक्शन में दवा भरी जाती है, फिर उसे एक मशीन में लगाकर बाजू पर लगाते हैं। मशीन पर लगे बटन को क्लिक करने से टीके की दवा अंदर शरीर में पहुंच जाती है।
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