
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) विद्यार्थियों को सभी भारतीय भाषाओं में पढ़ाई करने का विकल्प मौजूद कराने जा रहा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड की ओर से संबंद्ध विद्यालयों को सर्कुलर जारी कर दिया गया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सीबीएसई के इस कदम की सराहना करते हुए शुभकामना दी है.
सीबीएसई बोर्ड ने सर्कुलर जारी करते हुए बोला कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 युवा विद्यार्थियों के लिए बहुभाषावाद के महत्व और संज्ञानात्मक लाभों पर जोर देता है. सीबीएसई के इस जरूरी सर्कुलर में प्राथमिक कक्षाओं से लेकर 12वीं कक्षा तक निर्देशों के वैकल्पिक माध्यम के रूप में भारतीय भाषाओं के इस्तेमाल को दोहराया गया है.
विद्यार्थियों के बीच भाषाई विविधता, सांस्कृतिक समझ के साथ बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुच्छेद 4.12 में बहुभाषा के लाभों को बताया गया है. इसमें बोला गया है कि कम से कम कक्षा पांच तक और अधिकतम कक्षा आठ तक मूल भाषा के साथ-साथ मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा को शिक्षा के माध्यम के तौर पर प्रयोग किया जाए.
क्या बोला गया है सर्कुलर में?
सीबीएसई के निदेशक डाक्टर जोसफ इमानुवल की ओर से जारी सर्कुलर में सीबीएसई की ओर से बहुभाषा को शिक्षा माध्यम बनाने में आने वाली चुनौतियों और उनके निदान के लिए गवर्नमेंट की ओर से किए जा रहे प्रयासों का भी जिक्र किया गया है. सर्कुलर में बोला गया है, बहुभाषावाद को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए कुछ चुनौतियां आ सकती हैं, लेकिन इनसे पार पाया जा सकता है. उपरोक्त चुनौतियों को देखते हुए हिंदुस्तान गवर्नमेंट के शिक्षा मंत्रालय ने कई तरीका किए हैं. इसमें सबसे प्रमुख बाधा संबंधित भाषा में शिक्षकों की उपलब्धता, बहुभाषिक पाठ्यपुस्तकें, समय सीमा आदि का जिक्र किया गया है.
सर्कुलर में सीबीएसई ने बताया है कि इन चुनौतियों को कम करने के लिए शिक्षा मंत्रालय की ओर से एनसीईआरटी में दर्ज 22 भाषाओं के माध्यम से नयी पाठ्य पुस्तकें तैयार करने के निर्देश दे दिया गया है. यह काम अहमियत के आधार पर कराया जा रहा है, ताकि विद्यार्थियों को अनुसूची में दर्ज सभी 22 भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें मौजूद कराई जा जा सकें. सर्कुलर में बोला गया है कि भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा को जमीनी स्तर पर साकार करना उठाए गए प्रमुख कदमों में से एक है.
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की सराहना
सीबीएसई की ओर से जारी इस सर्कुलर की केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सराहना की है. उन्होंने ट्वीट कर बोला कि अपने सभी विद्यालयों में बालवाटिका से कक्षा 12वीं तक भारतीय भाषाओं में शिक्षा का विकल्प मौजूद कराने के लिए सीबीएसई को शुभकामना देता हूं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की परिकल्पना के अनुरूप यह विद्यालयों में भारतीय भाषा आधारित शिक्षा को बढ़ावा देगा. शिक्षा में बेहतर रिज़ल्ट की दिशा में यह एक अच्छी आरंभ है.
उच्च शिक्षा में भी भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल
सीबीएसई ने सर्कुलर में उच्च शिक्षा के लिए भारतीय भाषाओं में तैयार हो रहे पाठ्यक्रमों का भी जिक्र किया है. इसमें लिखा है कि भारतीय भाषाओं में परीक्षा आयोजित कराने के साथ ही तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, कानून शिक्षा और कौशल शिक्षा की पुस्तकें भारतीय भाषाओं में आने वाली हैं. इसमें बोला गया है कि चूंकि उच्च शिक्षा ने इस जरूरत को पूरा करना प्रारम्भ कर दिया है तो स्कूली शिक्षा को इसकी नींव बनना होगा. शिक्षा के माध्यम के हर दृष्टिकोण में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक एक निरंतरता होनी चाहिए.
