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शराब नीति मामले में CBI ने की पहली गिरफ्तारी

Admin2
27 Sep 2022 3:57 PM GMT
शराब नीति मामले में CBI ने की पहली गिरफ्तारी
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नई दिल्ली: दिल्ली की शराब नीति मामले में सीबीआई ने पहली गिरफ्तारी की है. इस मामले में सीबीआई ने विजय नायर को अरेस्ट किया है. वह एक एंटरटेनमेंट और इवेंट मीडिया कंपनी के पूर्व सीईओ हैं. ईडी ने भी उनके ठिकानों पर छापा मारा था. उनको इस कथित घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया जा रहा है.

विजय नायर Only Much Louder नाम की एंटरटेनमेंट और मीडिया इवेंट कंपनी के पूर्व सीईओ हैं. जानकारी के मुताबिक, विजय नायर को आज सीबीआई दफ्तर में पूछताछ के लिए बुलाया गया था. इसके बाद उनको गिरफ्तार किया गया. विजय नायर पर चुन-चुनकर लाइसेंस देने, गुटबंदी करने और साजिश रचने का आरोप है.
विजय नायर की गिरफ्तारी पर AAP पार्टी की सफाई भी आई है. AAP प्रवक्ता अक्षय मराठे ने कहा कि विजय नायर कुछ सालों के लिए AAP के संचार प्रभारी थे. वह बोले कि उनको फर्जी केस में फंसाया जा रहा है. मराठे ने दावा किया कि यह पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध है. क्योंकि नायर गुजरात चुनाव के लिए रणनीति तैयार कर रहे थे.
विजय नायर की गिरफ्तारी पर बीजेपी ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी को घेरा भी है. लिखा गया है कि अभी मीडिया से पता चला की विजय नायर को गिरफ़्तार कर लिया गया. आगे लिखा है कि मनीष सिसोदिया अभी शुरुआत हो गई बहुत जल्दी आपकी और अरविंद केजरीवाल की तमन्ना पूरी होगी.
वहीं बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने लिखा है कि विजय नायर की गिरफ्तारी शराब घोटाले का हर सच सामने लेकर आएगी. मिश्रा ने दावा किया कि विजय नायर के तार CM केजरीवाल तक जाते हैं. मिश्रा का दावा है कि शराब घोटाले से लेकर, पंजाब के अवैध लेनदेन तक सब की हैंडलिंग विजय नायर करता था.
दिल्ली की शराब नीति मामले में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर पर भी छापा पड़ा था. शराब नीति को लेकर ED ने दुर्गेश पाठक को भी समन भेजा था.
क्या है मामला, सिसोदिया पर क्या आरोप?
दिल्ली की शराब नीति पर मुख्य सचिव ने एक रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट में GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियमों का उल्लंघन पाया गया था. मनीष सिसोदिया पर आरोप है कि जब आबकारी विभाग ने शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस जारी किए तो इस दौरान मनीष सिसोदिया द्वारा कुल प्राइवेट वेंडर्स को 144 करोड़ 36 लाख रुपये का फायदा पहुंचाया गया, क्योंकि इस दौरान इतने रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ.
इसके अलावा मनीष सिसोदिया पर यह भी आरोप है कि उन्होंने कैबिनेट को भरोसे में लिए बिना और उप-राज्यपाल के बिना फाइनल अप्रूवल के कई बड़े फैसले लिए.
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