हाईकोर्ट में पहुंचा चश्मा चोरी का मामला, कोर्ट ने दिया ये अनोखा आदेश
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महाराष्ट्र में कथित तौर पर भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मुंबई की तलोजा जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा का चश्मा चोरी हो गया। बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को नवलखा का चश्मा कथित तौर पर चोरी होने के मामले पर कहा कि मानवता सबसे महत्वपूर्ण है।
बंबई उच्च न्यायालय ने जेल अधिकारियों को कैदियों की आवश्यकताओं के बारे में संवेदनशील बनाने के लिए एक कार्यशाला आयोजित करने पर जोर दिया। न्यायालय ने कहा कि जेल अफसरों को ट्रेनिंग देनी होगी ताकि उनमें इंसानियत बची रहे। बता दें कि नवलखा, एल्गार परिषद-माओवादी मामले में आरोपी हैं।
न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की एक खंडपीठ ने कहा कि उन्हें पता चला कि किस प्रकार जेल के भीतर से नवलखा का चश्मा चोरी हो गया और उनके परिजनों द्वारा कुरियर से भेजे गए नए चश्मों को जेल अधिकारियों ने लेने से मना कर दिया।
न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, ''मानवता सबसे महत्वपूर्ण है। इसके बाद कोई और चीज आती है। आज हमें नवलखा के चश्मे के बारे में पता चला। अब जेल अधिकारियों के लिए भी एक कार्यशाला आयोजित करने का समय आ गया है।" न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा पूछा कि क्या इन छोटी-छोटी चीजों को भी देने से मना किया जा सकता है? यह मानवीय सोच है।
नवलखा के परिजनों ने सोमवार को दावा किया था कि उनका चश्मा 27 नवंबर को तलोजा जेल के भीतर से चोरी हो गया था, जहां नवलखा बंद हैं। उन्होंने कहा था कि जब उन्होंने नवलखा के लिए नया चश्मा भेजा, तो जेल अधिकारियों ने उसे स्वीकार नहीं किया और वापस भेज दिया। परिजनों ने कहा कि नवलखा को बिना चश्मे के कुछ दिखाई नहीं देता।बता दें कि नवलखा को इस साल अप्रैल में कथित तौर पर उनके भीमा-कोरेगांव मामले से जुड़े होने के संबंध में गिरफ्तार किया गया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में उन पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विस इंटेलीजेंस (आईएसआई) से संबंध होने का आरोप लगाया है।