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NRC में डेटा से छेड़छाड़ का मामला, CAG की रिपोर्ट में दावा

jantaserishta.com
25 Dec 2022 2:19 PM GMT
NRC में डेटा से छेड़छाड़ का मामला, CAG की रिपोर्ट में दावा
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नई दिल्ली: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने असम की राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) में डेटा से छेड़छाड़ के खतरे को लेकर आगाह किया है. CAG ने नागरिकता दस्तावेज को अपडेट करने की प्रक्रिया के दौरान डेटा कलेक्शन और इसमें सुधार करने से संबंधित सॉफ्टवेयर उपयुक्त रूप से विकसित नहीं कर पाने के कारण आशंका जताई है. कैग का कहना है कि NRC को अपडेट करने की प्रक्रिया के लिए एक बेहद सुरक्षित और भरोसेमंद सॉफ्टवेयर विकसित करने की जरूरत है, लेकिन ऑडिट के दौरान इस संबंध में उचित योजना की कमी सामने आई है.
असम के लिए अपडेट अंतिम NRC 31 अगस्त, 2019 को जारी की गई थी, जिसमें 3,30,27,661 आवेदकों में से कुल 3,11,21,004 नाम शामिल थे. हालांकि, इसे अधिसूचित किया जाना बाकी है. कैग ने शनिवार को असम विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन 2020 में समाप्त वर्ष के लिए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें बताया गया कि 215 सॉफ्टवेयर यूटिलिटी को 'अनियमित तरीके' से मूल सॉफ्टवेयर में जोड़ा गया था.
रिपोर्ट में आगे कहा गया- ये सॉफ्टवेयर विकसित करने की जरूरी प्रक्रिया का पालन किए बगैर तैयार किया गया. यानि एक नेशनल टेंडर प्रोसेस के बाद पात्रता आकलन के जरिये विक्रेता का चयन किए बिना किया गया. एनआरसी डेटा कैप्चर और सुधार के लिए सॉफ्टवेयर और यूटिलिटी के गलत ढंग से डेवलपमेंट ने बिना किसी ऑडिट ट्रेल को छोड़े डेटा से छेड़छाड़ का खतरा पैदा कर दिया. लेखा परीक्षा से एनआरसी डेटा की सत्यता के लिए जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकती थी.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य के खजाने पर भारी खर्च करने के बावजूद एक वैलिड एरर फ्री एनआरसी तैयार करने का उद्देश्य पूरा नहीं किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, वेंडरों को ज्यादा और अस्वीकार्य भुगतान समेत धन के उपयोग में अनियमितताएं हुई हैं.
'असम में एनआरसी अपडेशन प्रोजेक्ट के लिए रसद व्यवस्था' के संबंध में कैग ने कार्रवाई की सिफारिश की. रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं के लिए दोषी अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करने और न्यूनतम मजदूरी अधिनियम का उल्लंघन करने के लिए सिस्टम इंटीग्रेटर मैसर्स विप्रो लिमिटेड के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के लिए कहा है. असम में एनआरसी को सुप्रीम कोर्ट की बेंच की निगरानी में अपडेट किया गया था.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह नोट किया गया कि शुरुआती प्रोजेक्ट लागत का अनुमान 288.18 करोड़ रुपये था. एनआरसी अपडेशन प्रक्रिया दिसंबर 2014 में शुरू हुई थी और इसके पूरा होने की समय-सीमा फरवरी 2015 के लिए निर्धारित की गई थी. हालांकि, दस्तावेज़ का अंतिम मसौदा अगस्त 2019 में प्रकाशित किया गया था और परियोजना लागत बढ़कर 1,602.66 करोड़ रुपये हो गई. इसमें 1,579.78 करोड़ रुपये का व्यय बताया गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि MW Act के अनुपालन को सुनिश्चित नहीं करने के लिए प्रमुख नियोक्ता के रूप में SCNR की जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए. बता दें कि असम में 20वीं सदी की शुरुआत से ही बांग्लादेश से लोगों के आने का क्रम शुरू हो गया था. ये एक मात्र ऐसा राज्य है, जिसके पास एनआरसी है और इसे पहली बार 1951 में तैयार किया गया था.
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