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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
मुंबई: महाराष्ट्र के पालघर जिले में एक फ्लैट से दो महिलाओं के शव बरामद किए गए थे. साल 2020 की इस घटना को लेकर पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने जांच के बाद चार्जशीट भी कोर्ट में दायर कर दी है. पुलिस की ओर से कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट ने ही एक आरोपी की जमानत का रास्ता खोल दिया. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में जेल में बंद एक आरोपी को जमानत दे दी है.
बताया जाता है कि महाराष्ट्र के पालघर जिले के तारापुर थाना क्षेत्र में 12 दिसंबर 2020 को एक फ्लैट से दुर्गंध आ रही थी. दुर्गंध से परेशान आस-पड़ोस के लोगों ने पुलिस को फोन कर इसकी जानकारी दी. जानकारी पाकर मौके पर पहुंची तारापुर थाने की पुलिस ने बंद फ्लैट से दो महिलाओं के शव बरामद किए थे. एक महिला की उम्र करीब 49 और दूसरे की करीब 30 साल थी.
पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि रवींद्र राजाराम पवार ने ये फ्लैट घटना से करीब डेढ़ वर्ष पहले किराए पर लिया था. घटना के बाद पुलिस पहुंची तो फ्लैट का दरवाजा लॉक नहीं था और अंदर दो महिलाओं के शव पड़े थे. मौके के हालात बता रहे थे कि इनकी किसी धारदार हथियार से काटकर हत्या कर दी गई है.
पुलिस ने इस मामले में घर के मुखिया राजाराम पवार को एक दोस्त हरिचंद्र आर यादव के साथ गिरफ्तार कर लिया. पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट में ये दावा किया गया था कि बिल्डिंग के दो गार्ड और सीसीटीवी फुटेज में ये नजर आ रहा है कि पवार एक अन्य व्यक्ति के साथ बिल्डिंग में प्रवेश कर रहे. अभियोजन पक्ष के मुताबिक पवार के अपनी बेटी के साथ संबंधों को लेकर पत्नी ने आपत्ति जताई थी और इसी को लेकर पवार ने यादव के साथ मिलकर अपनी पत्नी और बेटी, दोनों की हत्या कर दी.
हरिचंद्र यादव की ओर से एडवोकेट रेशमा मुथा और हरेकृष्ण मिश्रा ने कोर्ट में कहा कि उनके मुवक्किल को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. वकीलों ने कहा कि यादव जनरल स्टोर की दुकान चलाते हैं. वे अपनी दुकान पर चॉकलेट और बिस्किट्स भी रखते थे. पवार चॉकलेट्स और बिस्किट्स का थोक व्यावसायी था.
वकीलो ने सीसीटीवी की थीयरी का ये कहकर विरोध किया कि उसमें जो शख्स नजर आ रहा है, उसने अपने चेहरे को रुमाल से ढंक रखा है. इस सीसीटीवी फुटेज और यादव की उस इलाके में मौजूदगी की टाइमिंग अभियोजन की कहानी से मेल नहीं खा रही.
यादव के वकील ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष कोई भी ऐसा साक्ष्य पेश नहीं कर सका है जिससे आरोप साबित हो. बिल्डिंग के गार्ड्स भी दूसरे व्यक्ति की पहचान नहीं कर सके. कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के वकील से पूछा कि क्या आरोपियों की पहचान सिक्योरिटी गार्ड्स से कराई गई थी. अभियोजन की ओर से इस पर नहीं में जवाब दिया गया.
इसके बाद कोर्ट ने यादव को जमानत दे दी. जस्टिस भारती डांगरे ने अपने आदेश में कहा कि जांच पूरी हो जाने और चार्जशीट दाखिल कर दिए जाने के बाद प्रथम दृष्टया ये लगता है कि पवार अपनी पत्नी और बेटी की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं. उन्होंने ये भी कहा कि इस हत्याकांड में यादव की भूमिका कहीं से भी साफ नहीं हो रही है. मेरा मानना है कि याची जमानत पर रिहा होने का हकदार है.L
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