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नई दिल्ली: मानव भारती विश्वविद्यालय पर फर्जी डिग्री बांटने के आरोप के मामले में एक और खुलासा हुआ है। फोरेंसिक लैब जुन्गा को भेजे गए फर्जी डिग्रियों के नमूने और उत्तर पुस्तिकाओं की लिखावट की जांच की रिपोर्ट पुलिस एसआईटी को मिल गई है। पुलिस ने दावा किया है कि उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ हुई है। अब पुलिस एसआईटी ने मानव भारती विश्वविद्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। अगले सप्ताह तक कोर्ट में फाइनल चार्जशीट पेश की जा सकती है।
पुलिस एसआईटी ने कथित फर्जी डिग्री मामले में विश्वविद्यालय के मालिक राजकुमार राणा सहित 20 लोगों को आरोपी बनाया गया है। मानव भारती विश्वविद्यालय के करीब 46 हजार फर्जी डिग्रियों के आवंटन के आरोप के मामले में अभियोजन विभाग ने चालान पेश करने को मंजूरी दे दी थी। पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) को फोरेंसिक लैब जुन्गा भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट का ही इंतजार था। आरोप है कि संस्थान के कहने पर एजेंट फर्जी डिग्री दिलाने का सौदा करते थे। पुलिस जांच में यह पाया गया है कि 12 राज्यों में फर्जी डिग्रियां बेची गईं हैं।
इनमें महाराष्ट्र, बिहार, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, केरल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और बंगलूरू शामिल हैं। आरोप है कि डिग्रियां बेचने का यह फर्जीवाड़ा 2010 से चल रहा था। शैक्षणिक सत्र पूरा होने के बाद फर्जी डिग्रियां बिकना शुरू हो जाती थीं। एजेंट डिग्रियों का सौदा कर पैसों का नकद लेन-देन करते थे। हाईकोर्ट की ओर से गठित टीम ने पाया कि विश्वविद्यालय की केवल 2,600 डिग्रियां ही सही पाई गईं हैं। यही नहीं, आरोप यह भी है कि विश्वविद्यालय ने ऐसे कोर्स भी करवा दिए, जिनकी विवि प्रबंधन ने अनुमति ही नहीं ली थी।
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