तमिल नाडु। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष अरुण हलदर ने कहा कि अगर विग्नेश की हिरासत में मौत हुई है तो यह हत्या है. अरुण हलदर शुक्रवार को तमिलनाडु के सचिवालय कॉलोनी थाने पहुंचे जहां हिरासत में विग्नेश की मौत हो गई थी. थाने का निरीक्षण करने के बाद उपाध्यक्ष ने मीडिया को बताया कि पुलिस के मुताबिक विग्नेश और सुरेश आदतन अपराधी हैं. लेकिन मैंने पुलिसवालों से कहा कि आपने गिरफ्तार कर जेल भेजने के बजाए उनकी हत्या क्यों कर दी? अगर पुलिस की पिटाई के बाद विग्नेश की मौत हुई तो आपको इसे हत्या कहना होगा.
विग्नेश की मौत के मामले में आयोग के उपाध्यक्ष अरुण हलदर ने डीजीपी को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर उन्हें गिरफ्तार करने को कहा है. साथ ही इस मामले में एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर कार्रवाई करने को कहा है.
आयोग ने सिफारिश की है कि ऑटो चालक सुरेश और विग्नेश के परिवार को पुलिस सुरक्षा दी जाए. इसके अलावा सुरेश को घटना के दिन दायर सभी आरोपों से मुक्त कर तुरंत रिहा कराएं. इसके अलावा किसी सरकारी स्पेशियलिटी अस्पताल से सुरेश का बेहतर इलाज कराया जाए. आयोग ने डीजीपी को लिखे सिफारिशी पत्र में विग्नेश के परिवार को एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत तुरंत मुआवजा देने की बात कही है. इसके अलावा डीजीपी को अंतरिम रिपोर्ट और कार्रवाई की रिपोर्ट दो हफ्ते में आयोग को सौंपने के लिए भी कहा गया है. आयोग के उपाध्यक्ष हलदर ने मीडिया को बताया कि इस मामले में अत्याचार निवारण अधिनियम को जोड़ दिया गया है. इस मामले की जांच सीबी सीआईडी को ट्रांसफर कर दी गई है. उन्होंने कहा कि पुलिस ने वह नहीं किया जो उसे करना चाहिए था. मालूम हो कि विग्नेश की मौत पर विरोध तेज होने के बाद डीजीपी ने 23 अप्रैल को तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया था.
वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को विधानसभा में बताया कि विग्नेश की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में शरीर पर 13 चोटों को निशान मिले हैं. उन्होंने बताया कि इस मामले तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया है. वहीं इस मामले में एसआई और कॉन्स्टेबल को पहले ही निलंबित किया जा चुका है.