पुणे पुलिस ने आठ लोगों के खिलाफ ठगी का केस दायर किया है, जिनमें सारस्वत बैंक के चेयरमैन गौतम ठाकुर और मैनेजिंग डायरेक्टर स्मिता सांधाने शामिल हैं. मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मुकदमा एक न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के आधार पर फाइल किया गया है. कोठरूड पुलिस स्टेशन में वरिष्ठ पुलिस इन्सपेक्टर महेंद्र जागपत ने कहा कि उन्होंने सारस्वत बैंक के चेयरमैन और सात दूसरे लोहों के खिलाफ कोर्ट के आदेश के आधार पर ठगी का केस रजिस्टर किया है. उन्होंने बताया कि जांच अभी जारी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुातबिक, कोठरूड की निवासी स्मिता समीर पाटिल ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है. इसके बाद सारस्वत बैंक के चेयरमैन गौतम ठाकुर, मैनेजिंग डायरेक्टर स्मिता सांधाने, चीफ मैनेजर आनंद चाल्के, जोनल मैनेजर्स पल्लवी साली, रत्नाकर प्रभाकर, विश्रांतवाडी ब्रांच मैनेजर अभिषेक भगत आदि शामिल हैं. मामले में मुख्य वजह एक फर्जी ट्रांजैक्शन है. घटना 2018 और 2020 के बीच हुई थी. शिकायतकर्ता की कंपनी का सारस्वत बैंक की विश्रांतवाडी ब्रांच में टर्म लोन अकाउंट मौजूद था.
सारस्वत बैंक के अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने एक फर्जी लोन अकाउंट बनाया और 13 अगस्त 2018 को कंपनी के पास 13 करोड़ रुपये का वन-टाइम सेटलमेंट के लिए प्रस्ताव भेज दिया. बैंक पर आरोप है कि उसने टर्म लोन अकाउंट के लिए दिए गए चेक का गलत इस्तेमाल किया. उस पर आरोप लगाया गया है कि उसने फर्जी लोन अकाउंट के लिए 2.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया है.
बैंक ने क्या कहा? साल 1918 में शुरू किए गए, सारस्वत बैंक का दावा है कि वह भारत में सबसे बड़ा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक है. और वह देश के छह राज्यों में काम कर रहा है, जिनमें महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश और कर्नाटक शामिल हैं. बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, उसका कुल कारोबार 67,000 रुपये से ज्यादा का है.
इसके साथ उसके देशभर में 283 ब्रांच और 311 से ज्यादा एटीएम भी मौजूद हैं. को-ऑपरेटिव बैंकों को धोखाधड़ी के मामलों और बड़े मिस-गवर्नेंस का सामना करना पड़ा है. आरबीआई ने मुंबई में आधारित पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरपेटिव बैंक को सितंबर 2019 में भंग कर दिया था. वहीं, पीएमसी बैंक की रेजोल्यूशन की प्रक्रिया वर्तमान में जारी है.