x
कथक के दिग्गज बिरजू महाराज (Birju Maharaj) का रविवार देर रात दिल का दौड़ा पड़ने से निधन हो गया.
कथक के दिग्गज बिरजू महाराज (Birju Maharaj) का रविवार देर रात दिल का दौड़ा पड़ने से निधन हो गया. कुछ दिन पहले ही उनकी किडनी की बीमारी का पता चला था और वह डायलिसिस पर थे. मशहूर कार्टूनिस्ट इरफान ने अपने कार्टून के जरिए बिरजू महाराज को श्रद्धांजलि दी है.
कार्टूनिस्ट इरफान (Irfan Ka Cartoon) ने अपना कार्टून दिखाते हुए कहा, 'आज का दिन चुटकी लेने का नहीं, बल्कि चुप रहने का है. हमारे लिए शोक का दिन है. कथक गुरु बिरजू महाराज हमारे बीच नहीं रहे. उनके बिना कथक की कल्पना करना मुमकिन भी नहीं है. इसलिए आज का कार्टून बिरजू महाराज जी को श्रद्धांजलि स्वरूप है.'देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित बिरजू महाराज आजीवन कथक गुरु होने के साथ-साथ एक प्रतिभाशाली हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक और तालवादक भी थे. उन्हें सत्यजीत रे के ऐतिहासिक नाटक 'शतरंज के खिलाड़ी' (जिसके लिए उन्होंने भी गाया था) में दो नृत्य दृश्यों के लिए और 2002 के देवदास वर्जन में माधुरी दीक्षित पर चित्रित 'काहे छेड़ मोहे' ट्रैक के लिए सिनेमा प्रेमियों द्वारा याद किया जाता है. बिरजू महाराज ने कमल हासन की बहुभाषी मेगाहिट 'विश्वरूपम' में 'उन्नई कानाधू नान' को कोरियोग्राफ करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और बाजीराव मस्तानी गीत 'मोहे रंग दो लाल' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता था.
बिरजू महाराज लखनऊ घराने के जगन्नाथ महाराज के पुत्र थे, जिन्हें अच्चन महाराज के नाम से जाना जाता था, जिन्हें उन्होंने केवल नौ वर्ष की उम्र में खो दिया था. उनके चाचा प्रसिद्ध शंभू महाराज और लच्छू महाराज थे. बिरजू महाराज श्रीराम भारतीय कला केंद्र और संगीत नाटक अकादमी कथक केंद्र, दिल्ली में पढ़े लिखे, जहां से वे 1998 में निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे.
Next Story