डीयू सम्मेलन केंद्र में एनसीवेब की छात्राओं के लिए क्षमता निर्माण और व्यक्तित्व विकास पर आयोजन हुआ
दिल्ली ब्रेकिंग: नॉन-कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड,(एनसीवेब) डीयू और राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्त्वावधान में एनसीवेब की छात्राओं के लिए ‘क्षमता निर्माण और व्यक्तित्व विकास पर शुक्रवार को डीयू सम्मेलन केंद्र में कार्यक्रम का आयोजित किया गया। कार्यक्रम का लक्ष्य छात्राओं के संर्वांगीण विकास को लक्षित करना है जो उनके सशक्त व्यक्तित्व के निर्माण में सहायक होगा। यह कार्यक्रम नई शिक्षा नीति के कौशल वृद्धि पाठ्यक्रम और मूल्य संवद्र्धन पाठ्यक्रम से संबद्ध है और उसको बढ़ावा देता है। कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि, डीयू रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, डीयू प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी रहें, अध्यक्षता डीन ऑफ कॉलेज़ेज एवं एनसीवेब चेयरपर्सन प्रो. बलराम पाणी ने की वह मुख्यअतिथि राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सचिव मीनाक्षी नेगी रही। एनसीवेब की निदेशक प्रो. गीता भट्ट, एनसीवेब के उप-निदेशक डॉ. सुरेन्द्र कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।कार्यक्रम कुल तीन सत्रों में विभाजित था।
संस्कृति के विकास में महिलाओं की भूमिका अतुलनीय: एनसीवेब निदेशक प्रो. गीता भट्ट ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए छात्राओं के सर्वांगीण विकास में एनसीवेब की बहुमुखी भूमिका का जिक्र किया। डीयू रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता आत्मालोचन पर बल देते हुए निरंतर अपनी क्षमताओं के विकास की ओर केंद्रित रहने की बात कही। डीयू प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी ने कहा कि संस्कृति के विकास में महिलाओं की भूमिका अतुलनीय है और यही क्षमता निर्माण और व्यक्तित्व विकास का आधार भी है।
जीवन के किसी क्षण में किंतु-परंतु नहीं होने चाहिए: मुख्य अतिथि मीनाक्षी नेगी ने कहा कि जब ईश्वर की रचना में स्त्री-पुरुष में भेद नहीं है तो मानवीय संरचना में क्यों? यहीं से स्त्रीवाद अस्तित्व में आता है और राष्ट्रीय महिला आयोग जैसी संस्थाएं भेदभाव के खिलाफ लोहा लेती हैं। एनसीवेब के चेयरपर्सन प्रो. बलराम पाणि ने कहा जीवन के किसी क्षण में ‘किंतु-परंतु’ नहीं होने चाहिए और आपका लक्ष्य बिलकुल स्पष्ट और आपको उसके लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
तीन भागों में विभाजित का कार्यक्रम: तीन भागों में विभाजित प्रथम सत्र का पहला भाग निजी क्षमता विकास के सुनना और विचार-मंथन के पहलू से जुड़ा था जिसकी अध्यक्षताज्योति चौथईवाले ने की। इस सत्र का दूसरा और तीसरा भाग समय प्रबंधन और तनाव नियंत्रण व पारस्परिक संचार से जुड़ा था। दूसरा सत्र प्रॉफेश्नल कैरियर स्किल्स से जुड़ा था जिसमे छात्राओं का मार्गदर्शन डॉ. सोनाली चितलकर ने किया। तीसरा सत्र डिजिटल साक्षारता और सोशल मीडिया का सदुपयोग विषय पर केन्द्रित था जिसमें डॉ. सुनील कुमार ने छात्राओं का मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम में लगभग 600 से अधिक छात्राओं भाग लिया।