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पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क की केन-बेतवा लिंक परियोजना, सोनिया गांधी ने किया विरोध
jantaserishta.com
19 April 2021 5:11 AM GMT
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बांदा। बुंदेलखंड के पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क की केन-बेतवा लिंक परियोजना से होने वाली तबाही के बचाव में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी भी आगे आ गई हैं। उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण एवं वनमंत्री को पत्र भेजकर केन-बेतवा लिंक के मौजूदा स्वरूप पर असहमति जताते हुए कहा कि यह पन्ना रिजर्व टाइगर को तबाह करने वाला साबित होगा। इसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी।
पन्ना राजघराने की राजमाता सहित अनेकों संगठन पहले से ही लिंक परियोजना के विरोध में हैं। बुंदेलखंड के पन्ना (मध्यप्रदेश) में स्थित बाघों के लिए विशेष रूप से मशहूर पन्ना टाइगर रिजर्व का एक बड़ा हिस्सा केन-बेतवा लिंक परियोजना में शामिल कर लिया गया है। यहां प्रस्तावित बांध से यह पानी में डूब जाएगा। पन्ना टाइगर के बीच से ही केन नदी निकली है। यह उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में स्थित कई इलाकों को खेत और पेट के लिए पानी का मुख्य जरिया है। पिछले माह 22 मार्च को यूपी-एमपी के मुख्यमंत्रियों के बीच परियोजना के जल बंटवारे समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद परियोजना का विरोध तेज हो गया है। कई संगठन लगातार विरोध दर्ज करा रहे हैं। पन्ना राजघराने की राजमाता दिलहर कुमारी भी इस लिंक परियोजना के खिलाफ खुलकर सामने आ चुकी हैं। पन्ना परिवर्तन मंच, पन्ना बचाओ आंदोलन आदि के बैनर तले लगातार विरोध हो रहे हैं।
पन्ना टाइगर को बचाने के लिए चल रहे अभियान में कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अपनी एंट्री दर्ज करा दी है। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को दो अप्रैल को भेजे पत्र में कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना को मौजूदा स्वरूप में क्रियान्वित किया जाना ठीक नहीं है। पन्ना रिजर्व टाइगर पर इसका बहुत असर पड़ेगा। यह भी कहा कि बाघ अभ्यारण्य को जो नुकसान पहुंचेगा, उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी। सोनिया गांधी ने कहा कि परियोजना को मौजूदा रूप में अमल में नहीं लाया जाना चाहिए। इसे लेकर एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। तमाम पर्यावरणविद इसे रोकने की मांग कर चुके हैं। सोनिया ने कहा कि बीते एक दशक में बमुश्किल पन्ना टाइगर पुनर्जीवित हुआ है। यहां लगभग 18 लाख पेड़ हैं, जो लिंक परियोजना में खत्म हो जाएंगे।
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