जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भारतीय जनता पार्टी 2014 से केंद्र में विराजमान हैं। पार्टी की कमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के पास है। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में तूल पकड़ी और भारी बहुमत के साथ ‘अब की बार मोदी सरकार’ का नारा सच कर दिखाया। याद दिला दें, 2014 में लोकसभा की 545 सीटों में से 282 सीटों पर बीजेपी कमल खिलाने में सफल रही थी।
वहीं एनडीए के साथ गठबंधन से भाजपा ने कुल 336 सीटें जीती थीं।
2019 में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी, सत्ता में लौटी और पार्टी का चेहरा एक बार फिर प्रधानमंत्री बन गए। भारतीय जनता पार्टी ने 303 सीटों पर जीत हासिल की और अपना पूर्ण बहुमत बनाये रखा। हालांकि, भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए के साथ गठबंधन में पार्टी ने कुल 353 सीटों को अपने नाम किया था।
जनता के बीच पार्टी जहां अपनी जगह बनाने में सफल रही, वहीं दूसरी तरफ पिछले कुछ सालों का डेटा पार्टी के काम काज पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगता है। पार्टी ने दो बार लोकसभा चुनावों में जीत का परचम लहराया और सत्ता में लौटने में तो कामयाब रही। पर पिछले 4-6 सालों में भारत में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
इन प्रदेशों में मिली हार
आपको वो राज्य बता देते हैं, जहां लोगों ने भारतीय जनता पार्टी के बजाय, किसी अन्य पार्टी के दामन को चुना। पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, केरल, उड़ीसा, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम और सिक्किम। ये वो राज्य हैं, जहां भाजपा प्रदेशवासियों को खुश करने में नाकाम रही। देश में 28 राज्य हैं, और इसमें से 20 पर भाजपा की हार दर्ज है। एक्सपर्ट्स और एक्जिट पोल की मानें तो इस लिस्ट में कर्नाटक भी जगह बना सकता है। 2023 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा हारती हुई नजर आ रही है।
हालांकि, इस बात का खुलासा तो वोटिंग के नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा। मसला ये है कि लगातार हो रही हार का असर, कहीं ना कहीं अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है। ऐसे में पार्टी क्या खेल खोलेगी, सियासी आखाड़े में कैसे घमासान मचेगा, ये देखने वाली बात होगी।