भारत

बैलों के जन्मदिन पर कटा केक, पूरे गांव ने खाया खाना

jantaserishta.com
8 March 2022 4:04 AM GMT
बैलों के जन्मदिन पर कटा केक, पूरे गांव ने खाया खाना
x

DEMO PIC

समय के साथ जन्मदिन मनाने का तरीका बदल रहा है.

अमरावती: समय के साथ जन्मदिन मनाने का तरीका बदल रहा है. आजकल गांवों की गलियों में मेट्रो शहरों में जन्मदिन मनाने के एक या एक से अधिक तरीके सामने आ रहे हैं.राजनीतिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के जन्मदिन के अवसर पर विभिन्न सामाजिक गतिविधियाँ भी की जाती हैं. ये लोगों के बारे अक्सर सुनते और देखते आए है लेकिन आज आपको ऐसे किसान (Farmer)के बारे बता रहे जिसने पहली बार अपने बैलों का जिनका नाम सरजा है उनका बड़े धूम धाम से जन्मदिन मनाया है.अमरावती जिले के रहने वाले किसान दिलीप दामोदर वडाला और उसकी पत्नी यह पहल शुरू की हैं किसान का कहना है कि हम किसानों के लिए हमारे बैल (Bull)ही सब कुछ है उनके सहारे ही खेती कर हम किसान अपना पेट भरते है इसिलए हमने सोचा कि हमारे बैलों का जन्मदिन(Birthday) मनाए ताकि लोगो को भी ये पता चले कि बैलों का महत्व आज भी है.

अमरावती जिले के दरियापुर तालुका में रहने वाले किसान दिलीप दामोदर वडाला पिछले दस सालों से अपने बैल सरजा देखभाल कर रहे हैं, इस बार उन्होंने सरजा का बर्थडे सेलिब्रेट कर एक अलग ही स्टैंडर्ड सेट किया है.ये जन्मदिन खास रहे और लोगो को बालों का महत्व का पता चले इसिलए किसान और उसकी पत्नी ने इस मौके पर पूरे गांव के लोगों को भोजन करवाया और केक कट कर कुछ दान भी दिया. इस मौके पर हजारों की संख्या में लोग जमा हूए थे. वही पंचकृशी के ग्रामीण उनकी इस पहल की सराहना की है.
किसान दिलीप वडाल का कहना है खेती से लेकर बुवाई तक का काम आज भी महाराष्ट्र में बैलों पर निर्भर था.उन्होंने कहा सांडों की जोड़ी के कारण सब कुछ संभव हो पाता है और हम उनका जन्मदिन मनाकर उनके काम के लिए आभार व्यक्त कर सकते हैं.और लोगों तक यह संदेश देना चाहते हैं कि आज भी कृषि के क्षेत्र में उतना ही महत्वपूर्ण हैं जितना पहले था.
दिलीप वडाला पिछले दस सालों से बुलफाइट को मैनेज कर रहे हैं उनके योगदान से खेती का व्यवसाय बदल गया है और वे एक बच्चे की तरह बैलों की इस जोड़ी की देखभाल कर रहे हैं इतना ही नहीं उनकी पत्नी मनीषा के सहयोग से गांव में एक अनूठी पहल की गई है.जिसके बाद गांव वालों ने कहा ये परंपरा भविष्य में भी जारी रहेगी.
महाराष्ट्र के कई हिस्सों में अब भी बैलों से खेती होती है आज भी वहा के किसान बैल पोला का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मानते हैं खास तौर पर विदर्भ क्षेत्र में इसकी बड़ी धूम रहती है.पोला के दिन किसान और सभी लोग पशुओं और विशेष रूप से बैलो की पूजा करते है,उन्हें अच्छे से सजाते है और उनकी पूजा भी करते हैं किसान कहते है कि कृषि को अच्छा बनाने में मवेशियों का खास योगदान होता है.इसिलए उनकी पूजा कर आभार व्यक्त करते है.
Next Story