बंगाल। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में फर्जी IAS अधिकारी के बाद अब फर्जी ED अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी ने ईडी अधिकारी बनकर एक कैफे मालिक को ठगने की कोशिश की, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. कोलकाता पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है. जानकारी के मुताबिक 12 मार्च को सुकुमार कामिल्या नाम का एक शख्स कोलकाता के गोल्फ ग्रीन एरिया के 'फ्रेंड्स कैफे' गया. यहां वह कैफे के मैनेजर प्रवेश से मिला. उसने मैनेजर से कैफे मालिक प्रियंका बिस्वास का फोन नंबर मांगा.फोन नंबर लेने के बाद उसने प्रियंका को फोन किया और उसे बताया कि वह एक ईडी अधिकारी है और प्रियंका को उसे मोटी रकम देनी होगी. अगर ऐसा नहीं किया गया तो ईडी उसके खिलाफ मामला दर्ज करेगी.
कामिल्या के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद कोलकाता पुलिस ने उसे 9 जून को गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले भी उसे उन्हें ईडी ने एक दूसरे मामले में गिरफ्तार किया था और न्यायिक हिरासत में लेकर प्रेसीडेंसी सुधार गृह भेजा था. शुरुआती जांच में सामने आया है कि कामिल्या एक सशस्त्र सुरक्षा बल (एसएसबी) में हेड कांस्टेबल है. वह अक्टूबर 2022 तक ईडी में प्रतिनियुक्ति पर था. उसे यहां से मूल विभाग में शामिल होने के लिए कह दिया गया था. वर्तमान में उसकी पोस्टिंग एसएसबी 63 इकाई, बारासात में थी. इससे पहले अप्रैल 2023 में कोलकाता पुलिस ने फर्जी आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार किया था. शान्तो कुमार मित्रा नाम का शख्स खुद को मुख्यमंत्री के दफ्तर में तैनात IAS अधिकारी बताता था. पुलिस ने उसे बिरेश गुहा स्ट्रीट में एक होटल 'द क्रेस्ट' से गिरफ्तार किया था. तलाशी लेने पर उसके होटल के कमरे से कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज मिले थे.
दरअसल, मामले का खुलासा तब हुआ था, जब शिकायतकर्ता और उसकी बेटी ने पुलिस में शिकायत की थी. उन्होंने बताया था कि खुद को आईएएस अधिकारी बताने वाला शान्तो कुमार मित्रा ने उन्हें ज्योति बसु नगर में VVIP कोटे से दो सरकारी फ्लैट दिलाने का दावा किया था. इसके बाद फरियादी और उसकी बेटी ने फर्जी आईएएस अधिकारी को 11,76,000 रुपये दे दिए. लेकिन, न तो उसने फ्लैट दिलवाए और न ही पैसे वापस किए. शिकायत के बाद फर्जी आईएएस को गिरफ्तार कर लिया गया था. होटल के सामने खड़ी उसकी I20 कार पर नबन्ना, राइटर्स बिल्डिंग, राजभवन, कोलकाता पुलिस, पश्चिम बंगाल पुलिस का स्टीकर लगा हुआ था. पुलिस ने उसे भी जब्त कर लिया था. जानकारी के मुताबिक, वह असल में बेलेघाटा का रहने वाला था और कभी-कभी वह हरिदेवपुर इलाके में भी रहता था.