इसी तरह, 'उपग्रह' के अंतर्गत गतिविधियां विनिर्माण और संचालन हैं, उपग्रह डेटा उत्पाद, ग्राउंड सेगमेंट और यूजर सेगमेंट हैं। मौजूदा नीति के अनुसार, उपग्रहों की स्थापना और संचालन में केवल सरकारी अनुमोदन मार्ग से एफडीआई की अनुमति है। कैबिनेट की बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत दृष्टिकोण और रणनीति के अनुरूप, कैबिनेट ने विभिन्न उप-क्षेत्रों/गतिविधियों के लिए उदारीकृत एफडीआई सीमा निर्धारित करके अंतरिक्ष क्षेत्र पर एफडीआई नीति को आसान बना दिया है। बयान के अनुसार, संशोधित नीति के तहत उदारीकृत प्रवेश मार्गों का उद्देश्य संभावित निवेशकों को अंतरिक्ष में भारतीय कंपनियों में निवेश करने के लिए आकर्षित करना है।
निजी क्षेत्र की बढ़ी हुई भागीदारी से रोजगार पैदा करने, आधुनिक प्रौद्योगिकी को आत्मसात करने और क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। इससे भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत करने की उम्मीद है। बयान में कहा गया है, "इसके साथ कंपनियां सरकार की 'मेक इन इंडिया (एमआईआई)' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को प्रोत्साहित करते हुए देश के भीतर अपनी विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने में सक्षम होंगी।"