पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के तहत इनपुट क्रेडिट टैक्स (आईटीसी) के जरिए फर्जी तरीके से क्लेम कर सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है। केंद्रीय व राज्य की जांच एजेंसियां करोड़ों की टैक्स चोरी के मामले पकड़ चुकी हैं। सर्वाधिक मामले मुरादाबाद और गाजियाबाद में सामने आए। पश्चिमी यूपी-उत्तराखंड में 500 से अधिक कंपनियां जांच एजेंसियों की रडार पर हैं। पिछले तीन वर्षों में एक हजार से अधिक फर्जी फर्में सामने आ चुकी हैं। 50 से अधिक लोगों को फर्जीवाड़े में गिरफ्तार किया गया। 500 करोड़ से अधिक का राजस्व वसूल कर जांच एजेसियां सरकार के खाते में जमा कर चुकी हैं। मेरठ और आसपास के जिलों में भी आईटीसी के तहत की गई टैक्स चोरी पकड़ी जा रही है। जीएसटी लागू होने के बाद फर्जी तरीके से बनाई गई फर्मों के जरिए गोरखधंधा चल रहा है। अब जांच एजेंसियां ऐसी फर्मों को चिन्हित कर रही हैं जिन्होंने पांच करोड़ रुपये से ज्यादा का आईटीसी क्लेम लिया है। सूत्रों का कहना है कि पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड की 500 से अधिक फर्में डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) और राज्य जीएसटी के रडार पर हैं। इसके अलावा वह फर्में भी रडार पर हैं जो जीएसटी लागू होने के बाद बनाई गईं। इसके पीछे सबसे खास वजह यह है कि पांच करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी पकड़े जाने पर संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है। अफसरों का मानना है कि टैक्स चोरी को रोकने के लिए जालसाजों को जेल भेजा जाना जरूरी है। तभी टैक्स चोरी पर अंकुश लग सकेगा। सीजीएसटी सूत्रों ने बताया कि जिन फर्मों को रडार पर लिया गया है, उनमें से कई के बैंक खाते आईटीसी क्लेम लेने के बाद बंद हो गए।
ऐसे लोगों ने मोबाइल नंबर बदल दिए या बंद कर दिए। जीएसटी काउंसिल का मुख्य फोकस अब इस तरह के टैक्स चोरी के मामलों पर होगा जिनमें बिलबुक के जरिए फर्जीवाड़ा, टर्नओवर छिपाकर, रिफंड के जरिए, फर्जी बिल बनाकर और तथ्यों को छिपाकर फर्जीवाड़ा किया गया होगा। आईटीसी क्लेम के जरिए फर्जीवाड़ा करने वाले रडार पर हैं। टीमें ऐसी फर्मों को चिन्हित कर कार्रवाई कर रही हैं। जीएसटी को लागू करने के पीछे की मंशा टैक्स चोरी रोकना था, लेकिन आज भी जिम्मेदार टैक्स चोरी पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं। पहले व्यापारी ज्यादा माल को कम दिखाकर टैक्स चोरी करता था और अब बोगस फर्म से टैक्स चोरी की जा रही है। पिछले तीन वर्षों में करीब एक हजार बोगस फर्में केंद्रीय और राज्य जीएसटी की टीमें पकड़ चुकी हैं। फर्जीवाड़ा करके फर्मों का जीएसटी में पंजीकरण करा लिया जाता है। यह फर्में सिर्फ कागजों में होती हैं। फर्जी कंपनियां को सिर्फ कागजों में बनाते हैं। कंपनियों का कहीं कोई ऑफिस नहीं होता है। इसके बाद इन बोगस फर्मों से जालसाज बड़े पैमाने पर फर्जी टैक्स इनवॉइस तैयार करते हैं। इसके बाद इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करते हैं। कामकाज के फर्जी बिल बनाए जाते हैं। बिना किसी लेन-देन के इन कंपनियों के नामों पर व्यापार दिखा कर टैक्स इनवॉइस तैयार कर लेते हैं। आईटीसी क्लेम के जरिए सरकार से रिफंड हासिल कर लेते हैं।
फर्जी फर्मों के जरिए आईटीसी क्लेम लेकर सरकार को चूना लगाने वाली फर्में निशाने पर हैं। जांच कर लगातार कार्रवाई की जा रही है। ऐसी फर्मों के पंजीकरण रद्द किए जा रहे हैं। केंद्र और राज्य जीएसटी टीमें आरोपियों की गिरफ्तारी और उनसे फर्जीवाड़ा कर सरकार को राजस्व की लगाई चपत भी वसूल की जा रही है।
एसएस सिंह, एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2 राज्य जीएसटी
परिचित एवं अज्ञात लोगों के पैन कार्ड और आधार नम्बर लेकर उनके नाम से फर्जी फर्म बना लेते हैं। सीजीएसटी की वेबसाइट पर ऑनलाइन न सिर्फ फर्म का रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं, बल्कि जीएसटी और टिन नम्बर भी ले लेते हैं। इतना ही नहीं, फर्जी फर्मों के नाम से बैंक खाते भी खुद ही खुलवा लेते हैं। पश्चिमी यूपी में ही नहीं दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में भी फर्जी कंपनियां सामने आ चुकी हैं। जीएसटी की भाषा में इस कारनामे को टैक्सी फर्म कहते हैं।