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सब्जियों का बंपर उत्पादन, लेकिन भाव में जबरदस्त गिरावट से किसानों में मायूसी

jantaserishta.com
10 Feb 2023 4:12 AM GMT
सब्जियों का बंपर उत्पादन, लेकिन भाव में जबरदस्त गिरावट से किसानों में मायूसी
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रांची (आईएएनएस)| सब्जियों का बंपर उत्पादन करने वाले झारखंड के किसान मायूस हैं। बाजार में पिछले एक हफ्ते के दौरान सब्जियों के भाव में जबरदस्त गिरावट आई है और इसके चलते उनके लिए फसल की लागत निकाल पाना भी मुश्किल हो गया है। रांची शहर के बाजारों में भी टमाटर, फूलगोभी, पत्ता गोभी, पालक, बैगन जैसी सब्जियां तीन से लेकर 10 रुपए प्रति किलो के भाव बिक रही हैं। गांवों के बाजारों में कीमतें इससे भी कम हैं। आढ़तिए किसानों को उनकी लागत जितनी कीमत भी देने को तैयार नहीं हैं। रांची जिले के इटकी, बेड़ो, ठाकुरगांव, ब्रांबे, पिठौरिया, रातू और मांडर, रामगढ़ जिले के गोला,चितरपुर, सोसो, पोना, कोडरमा जिले के डोमचांच, फुलवरिया, पुरनाडीह, धरगांव, चतरा जिले के इटखोरी, सिमरिया, पत्थलगड्डा, गिद्धौर, लातेहार जिले के बालूमाथ और बारियातू, हजारीबाग जिले के बड़कागांव, केरेडारी, चुरचू, कटकमसांडी, गिरिडीह जिले के डुमरी, बगोदर, गांवा, बेंगाबाद, पीरटांड़ सहित कई अन्य इलाकों में हरी सब्जियों का जबर्दस्त उत्पादन हुआ है।
गिरिडीह के मोतीलेदा निवासी किसान रघुनाथ वर्मा कहते हैं कि टमाटर की इतनी भी कीमत नहीं मिल रही, जितना खर्च इसके पौधे लगाने और सिंचाई में हुआ है। एक एकड़ में टमाटर उपजाने में 35 से 40 हजार रुपए तक का खर्च आता है और अभी टमाटर का जो भाव है, उसमें प्रति एकड़ फसल के हिसाब से आठ से दस हजार का नुकसान हो रहा है।
चतरा जिले के इटखोरी प्रखंड अंतर्गत करनी गांव निवासी सुरेश दांगी बताते हैं कि लोकल मार्केट में टमाटर चार से पांच रुपए प्रति किलो बिक रहा है। बाहर के खरीदार इतनी भी कीमत देने को तैयार नहीं। किसानों के सामने स्थिति यह है कि खेत से बाजार तक फसल लाना भी मुनासिब नहीं लग रहा।
हजारीबाग जिले के बड़कागांव के पत्रकार उग्रसेन गिरि बताते हैं कि इस इलाके में फरवरी से लेकर अप्रैल-मई तक सब्जियों का भाव हर साल बेहद नीचे गिर जाता है। पिछले साल भी यहां के कई किसानों ने टमाटर की फसलें न बिकने पर बाजारों में सड़कों पर फेंक दी थी। जब तक इलाके में सब्जियों के प्रसंस्करण की इकाइयां नहीं लगेंगी या फिर फसलों की उचित कीमत पर खरीदारी की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक किसानों की हालत में सुधार की गुंजाइश नहीं दिखती।
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