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बड़ा एक्शन।
देहरादून (आईएएनएस)| उत्तराखंड में पलायन के बीच जनसांख्यिकीय बदलाव यानी डेमोग्राफिक चेंज ने राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है। कई क्षेत्रों में समुदाय विशेष की आबादी बढ़ रही है, जिससे सियासी हलकों में भी हलचल है। इतना ही नहीं राज्य के रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में सैकड़ों मजारें बन गई हैं। बीते कुछ सालों में सरकारी भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे कर धार्मिक स्थल बना दिए गए। नैनीताल हाईकोर्ट की फटकार के बाद पुष्कर सिंह धामी सरकार ने ऐसे अतिक्रमणों को हटाने की कवायद शुरू कर दी है। अभियान की शुरूआत देहरादून वन प्रभाग से हुई। यहां कुल 17 मजारें अतिक्रमण के दायरे में आ रही थीं, लेकिन दो मजार प्रबंधकों की ओर से जमीन संबंधी कागज दिखाने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। वन विभाग की टीम ने दो दिन पहले गुपचुप तरीके से कार्रवाई शुरू की। 15 मजारों के खिलाफ कार्रवाई के बाद वन विभाग की टीम टिन-टप्पर, लोहा, ईंट, गारा सब उठाकर ले गई।
देहरादून वन प्रभाग के डीएफओ नीतिश मणि त्रिपाठी ने कार्रवाई की पुष्टि की है। कहीं से भी किसी प्रकार के विरोध की खबर नहीं है। बता दें कि पूर्व में शासन की ओर से अतिक्रमण कर बनाए गए ऐसे धार्मिक स्थल चयनित करने के आदेश दिए गए थे। उत्तराखंड में दरगाह- मजार के बहाने सरकारी वन भूमि पर अवैध कब्जा किया जा रहा है।
जानकार बताते हैं कि उत्तराखंड राज्य बनने तक यहां नाममात्र की मुस्लिम आबादी हुआ करती थी, लेकिन साल 2010 और 2020 के कालखंड में यहां जंगलों के भीतर अचानक मजारें नजर आने लगीं। कई जगह तो वन रेंज चौकी के नजदीक ही अतिक्रमण कर धार्मिक स्थल बना दिए गए। नैनीताल हाईकोर्ट भी इस संबंध में कई बार राज्य सरकार और वन विभाग को फटकार लगा चुका है।
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