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चमकदार ब्रोशर के पीछे नहीं दिखती बिल्डर की मंशा, घर मिलने के बाद नहीं मिलती सुविधा...

jantaserishta.com
26 Aug 2023 9:24 AM GMT
चमकदार ब्रोशर के पीछे नहीं दिखती बिल्डर की मंशा, घर मिलने के बाद नहीं मिलती सुविधा...
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ग्रेटर नोएडा: बिल्डर और बायर के बीच विश्वास का रिश्ता होता है। बायर वही भरोसा करता है जो बिल्डर उसे बताता है। बायर वही देखता है जो बिल्डर अपने चमकीले सुंदर दिखने वाले ब्रोशर में उसे दिखाता है। बायर वही भरोसा करता है जो बिल्डर उससे कह रहा है। वह सारी सुविधाएं खरीदार के सपनों के घर में होने का दावा करता है। लेकिन, सच्चाई अलग होती है।
अपनी गाढ़ी कमाई के लाखों-करोड़ों रुपए देकर अपने सपनों का घर लेने वाले लोग जब अपने घर में पहुंचते हैं तो सिर्फ निराशा, वादाखिलाफी और विश्वास का टूटना ही उन्हें दिखता है। ऐसे हजारों उदाहरण भरे पड़े हैं। जिनमें फ्लैट और अपार्टमेंट वितरित होने के बाद भी डेवलपर अपने अनुबंध संबंधित दायित्वों का पालन नहीं करता दिखाई देता है।
जो बातें अपने चमकदार ब्रोशर में बिल्डर ने लिखी थी, वह सब एक धुंधली तस्वीर बन जाती है। बिल्डर अपने ब्रोशर में बहुत सारे वादे और बातें लिखता है। जिसमें वह बताता है कि हम बायर को स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण के साथ मजबूत सुरक्षा व्यवस्था, आलीशान क्लब हाउस, वेल मेंटेंड पार्क, जिम आदि उपलब्ध कराएंगे। लेकिन, होता इसके इतर ही है। बहुत कम ऐसी सोसाइटी हैं, जिनमें जो वादे किए गए उसे निभाया गया। अगर प्रतिशत में बात करें तो महज 10 प्रतिशत बिल्डर और सोसाइटी ऐसी होंगी, जिन्होंने अपने ब्रोशर में बताई गई हर उस चीज को पूरा करके अपने बायर को दिया है, जो उन्होंने वादा किया था। इसका मतलब है कि धोखा देने वालों की लिस्ट लंबी है।
खेल और क्लब जैसी सुविधाएं हो जाती हैं थर्ड पार्टी की :-
चमकीले ब्रोशर से वास्तविकता बिल्कुल अलग होती है। बिल्डर अक्सर अपने यहां पर खेल और क्लब जैसी सुविधाओं को तीसरे पक्ष को गिरवी रख देता है। जबकि, इन सुविधाओं को बिल्डर ने पूरी तरीके से बायर के पक्ष में बताया होता है और कहा जाता है यह सुविधा उनको फ्लैट खरीदने के साथ बिल्कुल उपहार के तौर पर मिल रही है। जबकि, सुविधाओं का उपयोग करने के लिए उस सोसाइटी में रहने वाले निवासियों को अतिरिक्त शुल्क अदा करना पड़ता है। जिनका वह खुलकर आनंद लेने की उम्मीद करते थे। ऐसे ही जिन पार्कों की और पार्किंग व्यवस्था की बात बिल्डर ने की होती है उन पर भी बिल्डर अपने मनमाने तरीके से व्यवस्थाएं बनाते हैं, जो वहां रहने वाले निवासियों को काफी परेशान करती हैं।
अगर किसी निवासी के पास एक पार्किंग की सुविधा है और वह दूसरी गाड़ी भी लगाना चाहता है तो उसे अतिरिक्त शुल्क देकर दूसरी पार्किंग खरीदनी पड़ती है।
खराब बनावट, टूटती छत, नक्शे में बदलाव:-
अक्सर हम कई अलग-अलग तरीके के वीडियो और फोटोग्राफ देखते रहते हैं, जिन्हें लोग अपने सोशल मीडिया पर साझा करते हैं। जिनमें लोग बताते हैं कि आज उनकी सोसाइटी के फ्लैट में छत का हिस्सा गिर गया, प्लास्टर का हिस्सा गिर गया, दीवार से प्लास्टर गिरने लगा, बालकनी काफी कमजोर है।
इन सबके पीछे वजह होती है कि एक बार अथॉरिटी और प्राधिकरण से मानचित्र का अप्रूवल लेने के बाद उसमें जबरन प्रोजेक्ट के मुताबिक बिल्डर नियमों की अनदेखी कर अपने हिसाब से बदलाव करता है। जिसके चलते पूरे प्रोजेक्ट की मजबूती पर भी फर्क पड़ता है और साथ ही साथ रहने वाले लोगों के बनाए गए फ्लैट पर भी उसका असर आता है। इन सबके होने की मुख्य वजह यह है कि एक बार नक्शा पास होने के बाद प्राधिकरण की तरफ से कोई भी बार-बार बिल्डर के साइट पर जाकर यह चेक नहीं करता कि जिस हिसाब से नक्शा पास किया गया, उसी हिसाब से कंस्ट्रक्शन हो रहा है या नहीं।
बिजली और डीजी सेट के नाम पर लिए जाते हैं मोटे पैसे:-
हाईराइज सोसाइटी में रहने वाले लोग दोहरी मार झेलते हैं। सरकार की तरफ से मुहैया कराई जा रही बिजली उन्हें सरकारी दाम पर कभी भी नहीं मिलती। बिजली बिल सब मीटर लगाकर बिल्डर वसूल करता है और इसके साथ-साथ बीच में बिजली जाने के नाम पर डीजी सेट चलाकर उसके नाम पर भी अतिरिक्त चार्ज वसूल किया जाता है।
मुद्दों को लेकर अक्सर सोसाइटी में रहने वाले लोग धरना-प्रदर्शन करते हैं और बिल्डर के खिलाफ नारेबाजी होती है। कई शिकायतें लगातार सरकार और संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाई गई है। लेकिन, अभी तक उनका हल होता दिखाई नहीं दे रहा है।
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