भारत
दिग्विजय सिंह के बयान पर भाई बोले- गाय हमारी माता स्वरूप, उसके भक्षण के बारे में सोचना भी पाप
jantaserishta.com
26 Dec 2021 3:16 AM GMT
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भोपाल: मध्यप्रदेश के चाचौड़ा से कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा है कि गाय हमारी मां जैसी है. गाय के मांस को खाने के बारे में सोचना भी पाप है. लेकिन इसके बजाए हम बेरोजगारी, महंगाई पर चिंता करें, चर्चा करें तो उचित होगा. दरअसल, एक दिन पहले ही मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने गाय को लेकर बयान दिया था. एक दिन बाद उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने बयान देकर दिग्विजय के बयान को लेकर ही सवाल उठा दिया.
गाय हमारी "माता"स्वरूप है।उसके भक्षण के बारे में सोचना भी "पाप"है।हम "बेरोजगारी","महंगाई पर चिंता करें,चर्चा करें तो उचित होगा। @INCMP @OfficeOfKNath
दरअसल, शनिवार को दिग्विजय सिंह ने कहा था कि सावरकर ने अपनी किताब में लिखा है कि गाय ऐसी पशु है जो खुद के मल (गोबर) पर लोटती है, वो कैसे हमारी माता हो सकती है. दिग्विजय ने कहा कि सावरकर ने किताब में लिखा है कि गोमांस खाने में कोई बुराई नहीं है. उन्होंने कहा कि ये वही सावरकर हैं जो आजकल भाजपा और संघ के खास विचारक हैं.
आगे दिग्विजय सिंह ने कहा कि हमारी लड़ाई आरएसएस के साथ है. उस विचारधारा के साथ है, जो पूरे देश को बांटने में लगी हुई है. वो तुलसी नगर स्थित नर्मदा मंदिर भवन में कांग्रेस के जनजागरण अभियान में बोले रहे थे.
गाय हमारी "माता"स्वरूप है।उसके भक्षण के बारे में सोचना भी "पाप"है।हम "बेरोजगारी","महंगाई पर चिंता करें,चर्चा करें तो उचित होगा। @INCMP @OfficeOfKNath
— lakshman singh (@laxmanragho) December 25, 2021
बीजेपी ने बताया, हिंदुओं का अपमान
दिग्विजय सिंह के सावरकर पर दिए बयान के बाद बीजेपी की प्रतिक्रिया सामने आई. बीजेपी के हिंदूवादी चेहरे और विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा- 'दिग्विजय दिन रात सिर्फ हिंदुओ को बदनाम करने में लगे रहते हैं'. उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह वो महापुरुष है जो हिंदुओं के खिलाफ षड्यंत्र करने में दिन-रात मेहनत और परिश्रम करते रहते हैं. आप अगर इतना ही हिंदू और हिंदुस्तान की भलाई के लिए काम करते तो ना ही पाकिस्तान में जिन्ना पैदा होता और ना ही आतंकवाद इस देश की धरती पर कहीं दिखाई देता. हिंदू धर्म में क्या-क्या खामियां हैं और हिंदू धर्म को कैसे बदनाम किया जाए, दिग्विजय सिंह 24 घंटे इसी में लगे रहते हैं. कभी सावरकर के नाम पर तो कभी दूसरे महापुरुषों के नाम पर गलत बयानी करते हैं.
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