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25 रुपए उधार चुकाने भारत आए भाई-बहन, जानिए पूरी कहानी के बारें में

Nilmani Pal
6 Jan 2022 4:36 AM GMT
25 रुपए उधार चुकाने भारत आए भाई-बहन, जानिए पूरी कहानी के बारें में
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आज भी कुछ लोगों का जमीर जिंदा है....

आंध्रप्रदेश। 'सोशल मीडिया की दुनिया' में इन दिनों दो अमेरिकी एनआरआई की खूब चर्चा हो रही है. दरअसल, बीते दिनों अमेरिका में रहने वाले दो एनआरआई भाई-बहन 25 रुपए का उधार चुकाने के लिए भारत आए. यहां उन्होंने आंध्रप्रदेश के उस मूंगफली वाले का पता लगाया, जिसने उन्हें 11 साल पहले मूंगफली उधार में दी थी. इतने लंबे अरसे बाद ही सही लेकिन इन दोनों भाई-बहनों ने बड़े ही शानदार तरीके से मूंगफली वाले का उधार चुकाया है. सोशल मीडिया पर अब इन दोनों भाई-बहन की खूब प्रशंसा हो रही है. हर कोई कह रहा है कि आज भी कुछ लोगों का जमीर जिंदा है. आइए जानते हैं इसकी पूरी कहानी.

बात 2010 की है. एनआरआई मोहन अपने बेटे नेमानी प्रणव और बेटी सुचिता के साथ आंध्रप्रदेश के यू कोथापल्ली बीच पर घूमने आए थे. यहां मोहन ने अपने बच्चों के लिए सत्तैया नाम के एक मूंगफली वाले से मूंगफली खरीदी थी. इसके बाद बच्चों ने उसका लुत्फ उठाना शुरू कर दिया. लेकिन जब पैसे देने की बारी आई, तो मोहन को पता चला कि वे अपना पर्स घर पर ही भूल आए हैं. लेकिन सत्तैया बड़ा दिलवाला निकला. उसने मोहन को मूंगफली फ्री में ही दे दी. तब मोहन ने सत्तैया से वादा किया कि वे बहुत जल्द उसका उधार चुका देंगे. फिर सत्तैया की एक फोटो खींच ली.

लेकिन जैसा कि बहुत लोगों के साथ होता है. छोटे-मोटे उधार के पैसे लोग भूल जाते हैं. आंध्र के मोहन के साथ भी कुछ वैसा ही हुआ और वे बिना उधार चुकाए परिवार के साथ अमेरिका लौट गए. हालांकि, मोहन की ईमानदारी देखिए. 11 साल बाद वे जब अपने बच्चों को साथ दोबारा भारत आए, तो उन्होंने सत्तैया मूंगफली वाले का पता लगाया, फिर उनके घरवालों को अपना उधार चुकाया. सत्तैया को ढूंढने में मोहन के बच्चों ने काकीनाडा शहर के विधायक चंद्रशेखर रेड्डी की भी मदद ली थी.

इसके बाद विधायक चंद्रशेखर रेड्डी ने अपने फेसबुक अकाउंट पर सत्तैया की पुरानी तस्वीर डालकर एक पोस्ट शेयर कर दी. इसका तत्काल असर हुआ और सत्तैया के बारे में पूरी जानकारी लग गई. लेकिन अफसोस, सत्तैया इस सुखद पल को अहसास करने के लिए इस दुनिया में नहीं है. हालांकि, मोहन के बच्चों ने अपना वादा पूरा करते हुए सत्तैया के परिवार को 25 हजार रुपए देने का फैसला किया.

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