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श्वासा एयर प्यूरीफायर से सांसें होंगी सेहतमंद

jantaserishta.com
18 Dec 2022 6:03 AM GMT
श्वासा एयर प्यूरीफायर से सांसें होंगी सेहतमंद
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कानपुर (आईएएनएस)| ठंड के दिनों में जैसे तापमान गिरता है, वैसे लोगों को शुद्ध वायु की जरूरत पड़ने लगती है। इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर आगे आया है। चार साल शोध के बाद उसने नैनो टेक्नोलॉजी आधारित श्वासा एयर प्यूरीफायर बनाया है। जिससे लोगों को शुद्ध हवा मिल सकेगी।
आईआईटी कानपुर ने एक ऐसा नैनो प्यूरीफायर का इजाद किया है जो अपने 400 मीटर के दायरे में हवा को शुद्ध करेगा। इसकी वजह से धूल का एक छोटा कण भी हवा को दूषित नहीं करेगा।
प्यूरीफायर का इजाद करने वाले कानपुर ई-स्पिन नैनोटेक के निदेशक डॉ. संदीप पाटिल ने बताया कि आज प्रदूषण और छोटे धूल के कण से फैलने वाले वायरस लोगों को काफी परेशान कर रहा है। इससे बच्चे हों या बुजुर्ग सभी परेशान हैं। इसे देखते हुए हमने आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर श्वासा नैनो गार्ड एयर प्यूरीफायर बनाया है। नैनो फाइबर तकनीक से 2.5 से नीचे पार्टिकल को अलग करते हैं। इसमें एक ऐसा इनोवेटिव तत्व लगाया गया जिससे वायरस बैक्टीरिया और प्रदूषण को हटा सकते हैं। इस तकनीक को आईआईटी कानपुर और मेडिटेक आईआईटी ने संयुक्त रूप से बनाया है। यह उत्पाद इनोवेटिव है। खाली फिल्टर आउट ही नहीं करता बल्कि डीऐक्टिवेशन भी करता है। इसे बनाने में करीब चार साल लग गए हैं। इसे नैनो तकनीक से बनाया गया है। इसमें एन हेपा तकनीक का प्रयोग किया है।
उन्होंने बताया कि इसके अंदर नैनो फाइबर मेम्ब्रेन लगा हुआ है जिसका नाम एन हेपा है। इससे हवा शुद्ध होती है। यह आठ चरण में हवा को साफ करता है। इस तकनीक का हमने श्वासा मास्क में भी प्रयोग किया था। सांस लेने में दिक्कत देने वाले वायरस का नष्ट करता है। यह 300 से 400 स्क्वायर फीट के इलाके को कवर करता है। यह अगर कमरा बंद रहेगा तो लगातार काम करता रहेगा। इसकी लागत तकरीबन 13 से 14 हजार के बीच में है। यह कम बिजली भी खर्च कम करता है। बाजार में मौजूद प्यूरीफायर से यह भिन्न है। क्योंकि इसमें नैनो तकनीक का इस्तेमाल कर पहली बार बनाया गया है। इसमें अत्याधुनिक चीजों का प्रयोग किया गया है। यह अस्पताल, स्कूल, ऑफिस, कई जगह प्रयोग कर सकते हैं।
ई-स्पिन के निदेशक डॉ संदीप पाटिल ने बताया कि श्वासा ने कोरोना के दौरान मास्क भी बनाए हैं। यह मास्क बाजार में मौजूद अन्य मास्क से पूरी तरह अलग है। इस मास्क की विजिबिलिटी, फिल्टरेशन और क्षमता अन्य मास्कों की तुलना में बेहतर है। इसका इस्तेमाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य कई हस्तियां कर चुकी हैं।
मेडिटेक आईआईटी कानपुर और इमजिर्ंग लेबोरेटरी के कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर जे. रामकुमार ने बताया कि आईआईटी कानपुर और स्पिन नैनो टेक्नोलॉजी ने मिलकर एक नया उत्पाद का आविष्कार किया है। यह आपके आसपास हवा को शुद्ध करने में सहायक है। श्वासा एयर प्यूरीफायर को आईआईटी और स्पिन टेक्नोलॉजी के माध्यम से बनाया गया है। दोनों ने मिलकर इससे पहले भी कई तरह के बेहतरीन उत्पाद बनाए हैं।
प्रोफेसर जे रामकुमार ने बताया कि श्वासा एयर प्यूरीफायर से पहले श्वासा फेस मास्क भी बनाया गया था जो कोविड-19 के दौरान काफी प्रचलित और चर्चित हुआ था।
खासियत के बारे में प्रोफेसर जे रामकुमार कहते हैं कि एयर प्यूरीफायर काफी हल्का है और इसे कहीं भी उपयोग कर सकते हैं। यह आसपास पर्यावरण में मौजूद प्रदूषण के कणों को खींचता है। इसमें नैनो फिल्टर बेस्ड तकनीक का उपयोग किया गया है। यह वायु में घुलने वाले विषाणु और जीवाणु को भी नष्ट करता है। प्रोफेसर कुमार ने बताया कि हमारा पूरा फोकस भारत को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने में है और यह उत्पाद उसी दिशा में एक प्रयास है। इस उत्पाद का रखरखाव भी काफी आसान है।
केजीएमयू रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर राजीव गर्ग कहते हैं कि सड़कों पर उड़ते धूल भले ही दिखने में खतरनाक न लगें, लेकिन धूल के ये छोटे-छोटे कण स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक साबित हो रहे हैं। ये सांस के जरिये फेफड़ों तक पहुंचकर उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि धूल के ये कण दमा, अस्थमा और एलर्जी जैसी कई बीमारियों का कारण बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि चाहे बच्चे हों बूढ़े, सब में जितनी भी सांस की बीमारी होती है इनका कारण यही होते हैं। इससे बचाव के लिए शुद्ध हवा बहुत अनिवार्य है। नियमित व्यायाम करें, स्वच्छ व खुली हवा में सुबह टहलें। शुद्ध हवा स्वाथ्य के लिए बहुत लाभ दायक है।
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