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हो सकती थी बड़ी गैस त्रासदी!
Guna. गुना। गुना जिले में गैस पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाना का गंभीर और चिंताजनक मामला सामने आया है। लापरवाही इतनी बड़ी है कि गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (गेल) से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है। तमाम अधिकारी इस मामले की तह तक जाने में जुटे हुए हैं। पूरी संभावना है कि गैस पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाने के इस मामले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है। यह बात अलग है कि एक तरफ अथॉरिटी इस मामले से चिंतित है, वहीं स्थानीय जिला प्रशासन इस बड़ी लापरवाही को दबाने में जुटा हुआ है। बता दें कि गुना शहर और आसपास के क्षेत्रों से गैस पाइनलाइन परियोजना के तहत कई पाइप बिछाए गए हैं। इनके पास बकायदा मार्किंग की गई है, पिलर लगाए गए हैं और आम लोगों को नजदीक भी न आने की चेतावनी दी गई है। इसके बावजूद कुछ खनन माफियाओं ने अपने निजी लाभ के लिए गुना से गुजरी इस गैस पाइपलाइन को नुकसान पहुंचा दिया है। गनीमत यह रही कि समय रहते कुछ जागरुक पत्रकार मौके पर पहुंच गए और उन्होंने गेल सहित दिल्ली में बैठे उच्च अधिकारियों को सूचना दे दी। अन्यथा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता था कि गुना में बड़ी गैस त्रासदी देखने को मिल सकती थी। गनीमत रही कि अवैध खुदाई के दौरान किसी पाइप को नुकसान नहीं पहुंचा, नहीं तो गैस रिसाव होने से जनहानि होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
दरअसल, गुना कलेक्ट्रेट से महज 3 किलोमीटर दूर सिंगवासा क्षेत्र से गैस पाइपलाइन गुजर रही है। इस इलाके में लाल मुरम भी बड़ा भंडार है। खनन माफिया की नियत इस मुरम पर खराब हो गई। उन्होंने इस बात को पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया कि इसी क्षेत्र में गैस पाइपलाइन बिछी हुई है। एक ठेकेदार द्वारा सिंगवासा क्षेत्र में बिछी इस पाइपलाइन परियोजना के नजदीक मुरम खोदने के लिए बड़ी संख्या में मशीनें और डम्फर रवाना कर दिए। मशीनों ने इस क्षेत्र को भी नहीं छोड़ा, जो पाइपलाइन परियोजना की हद में शामिल है। लगातार अवैध उत्खनन किया जा रहा था, तभी शहर के जागरुक पत्रकार मौके पर पहुंच गए और प्रशासन को सूचना दे दी। जिला प्रशासन ने अवैध उत्खनन तो रुकवा दिया, लेकिन ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। इसके बाद पत्रकारों ने गेल अथॉरिटी ऑफ इंडिया के दिल्ली कार्यालय और हेल्पलाइन नम्बर इस मामले की जानकारी दे दी। कम्पनी के अधिकारियों ने माना कि खुदाई का काम आरओयू (पाइपलाइन के उपयोग का अधिकार) की सीमा में ही चल रहा था। आरओयू भूमि का वह दायरा है, जहां कम्पन गैस पाइपलाइन के लिए जमीन का उपयोग कर सकती है। हालांकि स्वामित्व का अधिकार जमीन के मालिक के पास ही होता है। इस संबंध में पीएमपी अधिनियम 1962 के तहत नियम भी बनाए गए हैं।
इस सनसनीखेज मामले की जानकारी सामने आने के बाद गेल की ओर से तत्काल एक टीम मौके पर भेजी गई। सारे साक्ष्यों की फोटो और वीडियोग्राफी की गई है। उस जगह को सफेद चूने से मार्क कर दिया गया है, जहां खुदाई की जा रही थी। एक आपातकालीन वाहन भी तैनात किया गया है। गेल की एक टीम लगातार इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं। मौके पर उन साक्ष्यों को पूरी तरह सुरक्षित रखा गया है, जिनसे अवैध उत्खनन पाइपलाइन परियोजना के क्षेत्र में प्रमाणित होता है। ठेकेदार द्वारा उस पिलर को भी उखाड़ दिया गया था, जो परियोजना के दायरे में लगाया गया था और इसी से प्रतिबंधित क्षेत्र की पहचान हो रही थी। कुल मिलाकर मामला बेहद संगीन है, जिसको लेकर अब हर तरफ हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि चिंता की बात यह है कि कलेक्ट्रेट से कुछ ही दूरी पर किए जा रहे अवैध उत्खनन की खबर तक जिला प्रशासन को नहीं मिली। कुछ लोग इस काम में मिलीभगत की आशंका भी जता रहे हैं। सच क्या है यह तो जांच के बाद ही सामने आ सकेगा। सूत्र बताते हैं कि गैस पाइपलाइन के दायरे में खुदाई के मामले में संबंधित ठेकेदार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर सकती है। गैस पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाया अपराध की श्रेणी में आता है। इसके तहत भारी-भरकम जुर्माना लगाया जा सकता है और गैस आपूर्ति कम्पनी मुआवजे का दावा लगा सकती है। चूंकि ठेकेदार द्वारा पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाने के दौरान लोगों की जान भी जोखिम में डाली है, इसलिए आपराधिक केस भी दर्ज हो सकता है।
सूर्य प्रकाश यादव की रिपोर्ट
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