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Ambikapur. अंबिकापुर। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में जुलाई में चिकित्सकों और स्टाफ नर्सों की लापरवाही के कारण दो मरीजों की मौत हुई थी। सरगुजा कमिश्नर जीआर चुरेंद्र ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। रिपोर्ट मिलने पर कमिश्नर ने दोषी डॉक्टरों और नर्सों की सजा तय कर दी है। कमिश्नर ने हॉस्पिटल के सीएस, एसीएस सहित संयुक्त संचालक के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए पत्र संचालक, स्वास्थ्य सेवाओं को भेजा है। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में जुलाई माह में हुई दो मौतों में परिजनों ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगा हंगामा किया था। मामले की शिकायत पार्षद आलोक दुबे ने सरगुजा कमिश्नर से की थी। कमिश्नर ने कमेटी बनाकर मामले की जांच कराई तो मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में डॉक्टरों की मनमानी एवं अव्यवस्था की तस्वीर जांच रिपोर्ट में सामने आ गई। जांच रिपोर्ट में दोनों मामले में चिकित्सकों एवं स्टाफ नर्सों की लापरवाही को मौतों का प्रमुख कारण माना गया।
जांच रिपोर्ट पर कमिश्नर जीआर चुरेंद्र ने चिकित्सकों और स्टाफ नर्सों की सजा तय तक दी है। मामले में पहले से संयुक्त संचालक द्वारा कार्रवाई की गई थी, जिसे कमिश्नर ने अपर्याप्त माना है। 1.मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में जुलाई 2024 में ऑक्सीजन नहीं मिलने से सूरजपुर जिले के बांसापारा निवासी रामचन्द्र ठाकुर (50) की मौत हो गई थी। मृतक के परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगा हंगामा किया था। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में आक्सीजन नहीं मिलने की शिकायत के बाद भी चिकित्सकों और नर्सों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, जिससे मरीज की जांच चली गई। 2. एक अन्य मामले में दर्रीपारा निवासी महिला 50 साल की शांति मरावी को डायरिया से पीड़ित होने पर परिजन उसे मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल लेकर पहुंचे थे। इसके बाद डॉक्टर्स ने दवा देकर उसे वापस घर भेज दिया। दूसरे दिन फिर महिला का इंजेक्शन लगाकर भेज दिया गया।
तीसरे दिन शाम को हालत बिगड़ने पर उसे शाम को हॉस्पिटल में दाखिल किया गया तो उसकी जान चली गई। परिजनों ने अनुसार डॉक्टरों ने कह दिया था कि शराब पीने वालों का इलाज नहीं करते। जांच दल द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में उक्त प्रकरण में डॉ. शेखर लाल कंवर, डॉ. शिवम् सिंह चौहान, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ. नूर अकरम अली, डॉ भरत पटेल, पीजी जूनियर रेसीडेंट, प्रथम वर्ष एवं श्रीमती ज्योति, कुमारी माधुरी, गायत्री, रोशलीन स्टाफ नर्स की कर्तव्य के प्रति लापरवाही किया जाना पाया गया। कमिश्नर ने सभी डॉक्टरों की प्रशिक्षण अवधि को छह माह बढ़ा दिया है। वहीं नर्सों की प्रशिक्षण अवधि को एक वर्ष बढ़ा दिया गया है। सरगुजा संभागायुक्त द्वारा उक्त प्रकरण में सीएस डॉ. जेके रेलवानी, संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक डॉ रमेश चन्द्र आर्या, एसीएस डॉ संटु बाघ, एसीएस डॉ जीके दामले के द्वारा अस्पताल के प्रबंधन, सुरक्षा एवं कर्मचारियों पर किसी भी प्रकार का प्रशासनिक नियंत्रण नहीं होने से उक्त घटना होना पाया गया। इन डॉक्टरों पर कार्रवाई के लिए संचालक स्वास्थ्य सेवाएं को अनुशंसा सहित पत्र भेजा गया है।
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Shantanu Roy
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