भारत

"बोरा, ले लो बोरा...10 रुपया पीस बोरा...सरकार के फरमान के बाद सरकारी स्कूल का प्रिंसिपल क्यों कर रहा ऐसा?

jantaserishta.com
9 Aug 2021 10:09 AM GMT
बोरा, ले लो बोरा...10 रुपया पीस बोरा...सरकार के फरमान के बाद सरकारी स्कूल का प्रिंसिपल क्यों कर रहा ऐसा?
x
सरकारी स्कूल के एक प्रिंसिपल की अजीबोगरीब हरकत सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

बिहार के कटिहार के सरकारी स्कूल के एक प्रिंसिपल की अजीबोगरीब हरकत सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. प्रिंसिपल का नाम मोहम्मद तमीजुद्दीन (Muhammad Tamizuddin) है और ये कदवा प्रखंड के एक गांव के प्राथमिक विध्यालय के प्रिंसिपल हैं. इन दिनों इनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें तमीजुद्दीन अपने सिर पर बोरा रखकर उन्हें 10 रुपये में बेचते दिखाई दे रहे हैं. बाजार में घूमते हुए वो चिल्लाते हुए कह रहे हैं 'बोरा, ले लो बोरा...' इस वीडियो के सामने आने के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है.

मामला मिड डे मील योजना से जुड़ा हुआ है. बीती 23 जुलाई को शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया है. इसमें सभी स्कूलों को कहा गया है कि वो 2014-15 और 2015-16 में मिले चावल के खाली बोरे को 10 रुपये प्रति दर से बेचकर पैसा जमा कराने को कहा गया है. और ऐसा नहीं करने पर इसे गबन मानने की बात कहते हुए कार्रवाई करने की बात कही गई है.
सरकार के इसी आदेश के खिलाफ प्रिंसिपल तमीजुद्दीन ने विरोध का अनोखा तरीका अपनाया है. वो अपने सिर पर खाली बोरे रखकर बाजार में घूम रहे हैं और उन्हें 10 रुपये में बेचने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने अपने गले में एक तख्ती भी लटकाई हुई है, जिसमें लिखा है, "मैं बिहार के सरकारी स्कूल का शिक्षक हूं. सरकार के आदेश पर खाली बोरा बेच रहा हूं." वो चिल्ला रहे हैं "बोरा, ले लो बोरा...10 रुपया पीस बोरा...MDM का खाली बोरा..."
तमीजुद्दीन बाजारों में बोरा बेचने निकल तो पड़े हैं, लेकिन कोई खरीद नहीं रहा है. कारण ये भी है कि सभी बोरे पुराने हो चुके हैं और जगह-जगह से चूहों ने काटा हुआ है. वो कहते हैं, "हम गरीब शिक्षक हैं. अगर वेतन बंद हो गया तो हमारा परिवार भूखा मरने को मजबूर हो जाएगा. इसलिए सरकार के आदेश पर बोरा बेचने निकले हैं."
वो आगे कहते हैं, "कोई भी बोरा नहीं खरीद रहा है. सब कहते हैं कि इसे चूहों ने काटा है. मैं समझा-समझा कर थक गया कि चूहों ने काटा है, हमने नहीं काटा है." वो आगे फिर कहते हैं, "मैं कल फिर कोशिश करूंगा और तब तक करूंगा जब तक बोरे बिक नहीं जाते. हमारी नौकरी बची रहे. हमारा वेतन बंद न हो. यही उम्मीद है."
उन्होंने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से इस आदेश को वापस लेने की अपील की है. उनका कहना है, "इस तरह के आदेश निकालने से पहले शिक्षक के दर्द को भी जरा समझें कि किस पीड़ा से शिक्षक को गुजरना पड़ सकता है. आप तो आदेश निकाल दिए यहां शिक्षक को कितनी बेइज्जती उठानी पड़ेगी, आपको एहसास नहीं है. मुख्यमंत्री महोदय, आप विकास पुरुष हैं - सुशासन पुरुष हैं. आपसे आग्रह है कि ऐसे आदेश को आप वापस लें और भविष्य में इस तरह का आदेश ना करें जिससे शिक्षक समाज की बेज्जती होती हो."
इस पूरे मामले के सामने आने के बाद तमीजुद्दीन को निलंबित कर दिया गया है. उनको तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं. तमीजुद्दीन को आदेश का पालन नहीं करने और सरकार की छवि धूमिल करने के आरोप में निलंबित किया गया है.
Next Story