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गंगा पार कर रही बोट हाईटेंशन तार से टकराई, तीन दर्जन लोग घायल, 15 से 20 यात्री लापता

jantaserishta.com
15 Aug 2021 6:34 AM GMT
गंगा पार कर रही बोट हाईटेंशन तार से टकराई, तीन दर्जन लोग घायल, 15 से 20 यात्री लापता
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घायलों ने घटना की पूरी कहानी बताई है.

वैशाली जिले के राघोपुर प्रखंड में शनिवार की रात गंगा नदी में यात्रियों से भरी नाव हाईटेंशन तार की चपेट में आ गई थी जिससे तकरीबन 3 दर्जन यात्री झुलस गए थे और 15 से 20 यात्री लापता हैं. इस हादसे में झुलसे यात्रियों को पटना के फतुहा प्रखंड के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है जहां सभी का उपचार चल रहा है. अब इस हादसे में पटना प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. घायलों ने घटना की पूरी कहानी बताई है.

वैशाली जिले के राघोपुर निवासी वीरेंद्र दास पटना में मजदूरी करते हैं. वे भी उसी नाव पर सवार थे जो गंगा नदी में हादसे का शिकार हुई. इस घटना में वीरेंद्र दास बुरी तरीके से झुलस गए और उनके शरीर पर कई जगह जलने के निशान हैं. वीरेंद्र के सिर पर भी गंभीर चोट आई है. वीरेंद्र दास ने बताया कि रोज की तरह वे शनिवार की रात 8 बजे पटना के कच्ची दरगाह इलाके से खुलने वाली नाव पर सवार होकर राघोपुर अपने गांव जा रहे थे.
वीरेंद्र दास ने बताया कि जब नाव गंगा के बीच पहुंच गई थी तो नदी में बढ़े जलस्तर के कारण नाव की पतवार हाईटेंशन तार से टकरा गई. नाव में सवार काफी सारे लोग घायल हो गए. नाव में सौ से 150 लोग सवार थे. इस घटना में जख्मी हुए रुदल दास ने हादसे के पल याद करते हुए बताया कि गंगा में पानी की धारा बहुत तेज थी. इसी वजह से नाव की पतवार हाईटेंशन तार से टकरा गई.
राघोपुर में नाव हादसे के बाद लापता लोगों के संबंध में पुख्ता जानकारी वैशाली या पटना जिला प्रशासन के पास नहीं है. प्रशासन को इस बात की जानकारी भी नहीं है कि नाव पर कुल कितने लोग सवार थे. पटना सिटी के एसडीओ मुकेश रंजन ने इस संबंध में कहा है कि घटना के बाद हमने कुल 38 लोगों से संपर्क किया जो उस नाव पर सवार थे. इसमें से कुछ घायल हुए और कुछ सुरक्षित हैं.
उन्होंने बताया कि जो लोग नाव पर सवार थे, उनकी ओर से कुछ सूचना मिल रही है लेकिन कोई सही जानकारी नहीं दे पा रहा कि नाव पर कितने लोग सवार थे. एसडीओ ने कहा कि हादसे के बाद लापता लोगों की तलाश एनडीआरएफ कर रही है. इस पूरे मामले में पटना प्रशासन की लापरवाही भी साफ तौर पर उजागर हो रही है कि आखिर आदेश के बावजूद शाम 5 बजे के बाद गंगा नदी में नाव का परिचालन कैसे किया जा रहा था?
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