यूपी। जार्जटाउन पुलिस ने शहर में तीन साल से रक्त की तस्करी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह को बेनकाब करने के पीछे सरगना की प्रेमिका द्वारा पुलिस से शिकायत करना रहा। इस मामले में झूंसी निवासी सरगना शान मोहम्मद उर्फ शानू सहित 12 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। इनके कब्जे से 128 यूनिट खून, टीबी सप्रू अस्पताल की फर्जी रसीद, 85 ब्लड सैंपल की शीशी, विभिन्न अस्पतालों के 138 पर्चे, कार सहित कई सामान बरामद किए गए हैं। गिरोह के संपर्क में कुछ अस्पताल के कर्मचारियों के होने की बात सामने आई, जिनकी भूमिका की जांच की जा रही है। बुधवार शाम पुलिस लाइन में गिरफ्तार अभियुक्तों को मीडिया के सामने पेश किया गया। एसपी सिटी संतोष कुमार मीणा और सीओ सत्येंद्र तिवारी ने बताया कि शान मोहम्मद करीब पांच साल पहले दिनकर त्रिपाठी की पैथोलाजी में काम करता था। वहीं से उसने खून निकालना और ब्लड सैंपल की जांच करना सीखा था।
वहां नौकरी छोड़ने के बाद ज्यादा कमाई के लिए उसने अपने साथ तमाम युवकों को शामिल किया, जो गरीब, नशेड़ी और जरूरतमंद व्यक्तियों की तलाश करते थे। इसके बाद उन्हें एक हजार से डेढ़ हजार रुपये देकर कार के भीतर ही रक्त निकाल लेते थे। खून के बैग पर कूटरचित ब्लड बैंक की स्लिप चस्पा कर रसीद तैयार कर लेते थे और फिर जरूरतमंदों को सात से 10 हजार रुपये में बेच देते थे। इसका पता चलने पर इंस्पेक्टर जार्जटाउन बृजेश सिंह ने दारोगा अमित चौरसिया, मुन्ना कुशवाहा, अमित कुमार, मनीष राय, मनोज यादव व अनीश भारद्वाज के साथ गैंग का भंडाफोड़ करते हुए अभियुक्तों को अलग-अलग स्थान से गिरफ्तार किया।
बताया गया कि दो बच्चों की एक मां सरगना शानू के साथ रहती थी। दोनों के बीच प्रेम संबंध था और शानू के साथ रहते हुए भी एक बच्चे को जन्म दिया। महिला शादी करना चाहती थी, लेकिन वह काफी दिनों से टाल मटाेल कर रहा था। दबाव बनाने पर दोनों के बीच झगड़ा हुआ तो नाराज प्रेमिका ने पुलिस को सूचना दे दी। जार्जटाउन पुलिस जब शानू के अल्लापुर स्थित किराए वाले मकान पर पहुंची तो पूरा राज खुल गया, जिसके बाद सभी को दबोच लिया गया। गैंग के कई सदस्य शहर में किराए पर रहते थे।
एसपी सिटी ने बताया कि बाई का बाग निवासी अनिल मिश्रा टीबी सप्रू अस्पताल और ब्लड बैंक की फर्जी रसीद छापता था। गिरोह के कुछ सदस्य खून देने वालों को तलाशते थे तो कुछ स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल और ब्लड बैंक के पास रक्त लेने वालों की तलाश में लगे रहते थे। जल्द खून प्राप्त करने वालों से ज्यादा पैसा लेकर खून देते थे। गैंग के सदस्य करीब पांच सौ यूनिट खून बेच चुके हैं। जब्त खून के संबंध में सीएमओ से भी वार्ता की गई है।